उत्तराखंड अल्मोड़ाArchaeological survey of india team arrived wearing shoes at jageshwar dham temple

देवभूमि के जागेश्वर धाम में जूते पहनकर दाखिल हुए अफसर, मचा बवाल

आरोप है कि एएसआई के अधिकारियों ने जूते पहनकर ज्योर्तिधाम में प्रवेश किया, पुजारियों ने विरोध किया तो अधिकारी उन पर भड़क गए...

jageshwardham temple: Archaeological survey of india team arrived wearing shoes at jageshwar dham temple
Image: Archaeological survey of india team arrived wearing shoes at jageshwar dham temple (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित जागेश्वर धाम...सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर समूह को पांचवा धाम बनाने की कवायद चल रही है। यहां के प्राचीन मंदिरों को सहेजने का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानि एएसआई पर है, लेकिन बीते शनिवार को एएसआई अधिकारियों ने मंदिर में ऐसी हरकत की, जिसे देख लोगों में गुस्सा भड़क उठा। शनिवार को मंदिर का निरीक्षण करने आए एएसआई अधिकारी मंदिर में जूते पहनकर घुस गए। अधिकारियों की इस हरकत पर पुजारी भड़क गए। उन्होंने एएसआई अधिकारियों की इस करतूत को ज्योर्तिंलिंग का अपमान करार देते हुए अधिकारियों को से जूते उतारने को कहा। पुजारियों का आरोप है कि इतना कुछ होने के बाद भी अधिकारियों ने जूते नहीं उतारे, उल्टा एएसआई अधीक्षक पुजारियों पर ही गुस्सा निकालने लगे और उन्होंने वहां ठंड से बचने के लिए जला कर रखी गई अंगीठी को उठा कर नदी में फेंक दिया। पूरा मामला क्या है ये भी बताते हैं। जागेश्वर मंदिर समूह के संरक्षण और रखरखाव का जिम्मा एएसआई पर है, ये तो आप जानते ही हैं।

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शनिवार को एएसआई अधीक्षक राजकुमार पटेल अपने मातहतों के साथ जागेश्वर धाम पहुंचे थे। देहरादून से आए अधिकारियों ने मंदिर में दाखिल होते वक्त जूते उतारने की जहमत नहीं उठाई। पुजारियों ने विरोध किया तो अधिकारी आग बबूला हो गए। जिस वक्त ये घटना हुई पुजारीगण मंदिर परिसर में अंगीठी जलाकर बैठे थे। आरोप है कि अधीक्षक ने उनके साथ बदसलूकी की। उन्हें मंदिर से हटाने की धमकी भी दी। अधीक्षक का गुस्सा यहीं शांत नहीं हुआ। उन्होंने वहां रखी अंगीठी उठाकर जटागंगा नदी में फेंक दी। मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। चलिए अब आपको मंदिर में प्रवेश के नियम बताते हैं। मंदिर समूह में जूता ले जाना अशुद्धि माना गया है। जूते मंदिर समूह से 20 मीटर की दूरी पर टिनशेड के नीचे उतारने होते हैं। सर्दियों में वीवीआईपी, बड़े साधु-संतों और महंतों को ठंड से बचने के लिए फाइबरयुक्त मोजे उपलब्ध कराये जाते हैं, यानि चाहे कितनी भी ठंड हो मंदिर में जूते लेकर प्रवेश करना वर्जित है। पुजारियों ने कहा कि अफसरों की घटिया करतूत सीसीटीवी कैमरे में कैद है। एएसआई को धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।