अल्मोड़ा: उत्तराखंड देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि उत्तराखंड में चारधाम हैं, और यहां का गांव-गांव सैन्यधाम है, ये बात सच भी है। बाद जब देश की रक्षा की आती है तो उत्तराखंड के जवान अपनी जान की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटते। यहां के शहीदों की शौर्यगाथा देश-दुनिया में मशहूर है, इन्हीं शहीदों में से एक हैं शहीद मनोहर दत्त बवाड़ी, जिन्हें सिक्किम में बड़ा सम्मान मिला है। शहीद मनोहर दत्त बवाड़ी के नाम पर सिक्किम के एक पुल का नाम बवाड़ी ब्रिज रखा गया है। भारतीय सेना ने इस बारे में जानकारी देने के लिए शहीद के परिजनों को एक पत्र भी भेजा। शहीद मनोहर दत्त बवाड़ी पंचवटी कुटीर नैनीताल के रहने वाले थे। उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। मनोहर दत्त बवाड़ी भारतीय सेना में सिविल इंजीनियर रहे। हाल ही में ग्रीफ के सेकेंड इन कमांड कैप्टन मोहम्मद आसिम शमीम की तरफ से शहीद की बेटी रक्षिता को एक लेटर भेजा गया। जिसमें सूचना दी गई थी कि सिक्किम के एक पुल का नाम बवाड़ी ब्रिज रखा गया है।
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मनोहर दत्त बवाड़ी ग्रीफ में सिविल इंजीनियर के पद पर तैनाती के दौरान 15 अप्रैल 1994 को शहीद हुए थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। शहीद बवाड़ी का परिवार मूलरूप से अल्मोड़ा के बवाड़ी किचार गांव का रहने वाला है। शहीद की पत्नी मोहिनी बवाड़ी का भी निधन हो चुका है, जबकि बेटी रक्षिता महाराष्ट्र में पढ़ रही है। चलिए अब आपको बवाड़ी ब्रिज के बारे में बताते हैं, ये ब्रिज उत्तरी सिक्किम के मुंशिथांग क्षेत्र में है। उत्तराखंड के शौर्यचक्र विजेता को सिक्किम में सम्मान मिलना प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। शहीद बवाड़ी भले ही अब हमारे बीच में नहीं हैं, पर उन्होंने देश के लिए जो सर्वोच्च बलिदान दिया है, सिक्किम का बवाड़ी ब्रिज उस बलिदान की हमेशा याद दिलाता रहेगा।