उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालGARHWAL RIFLE PASSING OUT PARADE LANCE DOWN

उत्तराखंड से भारतीय सेना को मिले 240 जांबाज जवान..गढ़वाल राइफल ने फिर बढ़ाई शान

ये गर्व से भर देने वाला क्षण था, लैंसडाउन में पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेने के बाद 240 रिक्रूट विधिवत रूप से भारतीय सेना का हिस्सा बन गए।

उत्तराखंड: GARHWAL RIFLE PASSING OUT PARADE LANCE DOWN
Image: GARHWAL RIFLE PASSING OUT PARADE LANCE DOWN (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: वो पल सचमुच गर्व से भर देने वाला होता है, जब रिक्रूट पासिंग आउट परेड के बाद विधिवत रूप से सेना का हिस्सा बन जाते हैं। ये सम्मान पाने के लिए हर रिक्रूट को 9 महीने की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। शनिवार को गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट के 240 रिक्रूट्स की जिंदगी में भी ये अहम पल आया, और वो इस गौरवशाली परंपरा के साक्षी बने। गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर लैंसडाउन में शनिवार को पासिंग आउट परेड हुई, जिसके बाद ये सभी रिक्रूट विधिवत तौर पर भारतीय सेना का अंग बन गए। पासिंग आउट परेड के दौरान 240 रिक्रूट्स ने देश की रक्षा और सुरक्षा की शपथ ली। पीओपी में हिस्सा लेने वाले इन जवानों का उत्साह देखने लायक था। ये वो मौका था जिसका इंतजार वो और उनके परिजन पिछले कई महीने से कर रहे थे। रिक्रूट से सेना में जवान बनने तक का ये सफर युवाओं के लिए आसान नहीं रहता। आगे जानिए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - उत्तराखंड के युवाओं के लिए शानदार खबर...3 से 12 जून तक कोटद्वार में सेना भर्ती रैली
रिक्रूट से सेना का जवान बनने का सफर बेहद ही चुनौतीपूरण होता है। लैंसडाउन स्थित गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर में उन्हें नौ महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग के जरिए उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से देवा की सेवा के लिए तैयार किया जाता है। शनिवार को गढ़वाल राइफल पीओपी में शामिल हुए सभी रिक्रूटों को परेड के पुनर्निरीक्षण अधिकारी ने देश की आन-बान और शान की रक्षा के लिए भारत माता के साथ ही रेजीमेंट की शपथ दिलाई। जवानों के साथ-साथ ये उनके परिजनों के लिए भी गौरवशाली पल था। परेड ग्राउंड में पीओपी देखने के लिए रिक्रूटों के अभिभावक और स्थानीय लोग बड़ी तादाद में मौजूद थे। बच्चों के सेना में शामिल होने की खुशी परिजनों के चेहरे पर साफ दिख रही थी। उन्होंने कहा कि देश सेवा का मौका किस्मत से मिलता है। उनके बच्चों ने नौ महीने की कड़ी ट्रेनिंग और परिश्रम के बाद ये मुकाम पाया है। अब देश की सेवा और सुरक्षा ही उनकी पहली प्राथमिकता रहेगी।