उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालGindi mela of uttarakhand

मकर संक्रांति पर गढ़वाल में लगता है अद्भुत मेला, 18वीं सदी से चल रहा है रग्बी जैसा खेल

गिंदी मेला...उत्तराखंड में ये नाम आपने बहुत सुना होगा लेकिन आज हम आपको इस मेले का इतिहास और कहानी भी बता रहे हैं।

उत्तराखंड: Gindi mela of uttarakhand
Image: Gindi mela of uttarakhand (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: मकर संक्रांति का त्योहार आने को है और हर साल उत्तराखंड में इस खास पर्व को बहुत ही शानदार तरीके से मनाया जाता है। इस दौरान राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के थल नदी और डाडामंडी में गिंदी का मेला लगता है और सबसे खास बात ये है कि यहां मकर संक्रांति के दिन रग्बी जैसा खेल खेला जाता है। इस खेल में जो पक्ष सबसे ज्यादा ताकतवर होता है वो इस खेल को जीत लेता है।
गढ़वाल के डाडामंडी में लगता है गिंदी मेला
डाडामंडी कोटद्वार से मात्र 23 किलोमीटर की दूरी पर है। जहां करीब सौ से ज्यादा गांवों के लोग इस पर्व को मनाने के लिए एकत्र होते हैं। मेला डाडामंडी में लोहे के एक पुल के नीचे लगता हैं। पुल के नीचे बरसातों में नदी रहती है। लेकिन ऐसे ये नदी सूखी रहती है। खेल में दोनों पक्षों के बीच में एक चमड़े की गेंद रखी जाती है। जिसे अपने-अपने पाले में ले जाने की प्रतियोगिता दोनों पक्षों में होती है। हालांकि इस खेल में कई लोग जख्मी भी हो जाते हैं।

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क्या है गिंदी मेले का इतिहास
मेले की शुरुआत बौंठा गांव के छवाण राम तिवाड़ी ने सन् 1877 में की थी। छवाण राम की तीन पत्नियां थीं और ये पेशे से कारोबारी थे लेकिन तीन पत्नियों में से एक पत्नी का मायका डबरालस्यूं में था। वो हर साल मकर संक्रांति के दिन अपने मायके गिंदी का मेला जाया करती थीं। इसी दौरान छवाण का भी मन हुआ कि वो मेला देखने जाए। क्योंकि वो अपनी पत्नी से मेले की तारीफें सुनते थे और वो भी एक बार अपनी पत्नी के साथ उसके मायके गए। मेला देखने के बाद छवाण राम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने गांव डाडामंडी में भी मेले का आयोजन करवाया। तभी से हर साल डाडामंडी में हर साल मकर संक्रांति के दिन बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।