उत्तराखंड अल्मोड़ाStory of maa jhula devi temple

देवभूमि की मां झूला देवी, जहां शेर करता है मंदिर की रखवाली..700 साल पुरानी है कहानी!

आज हम आपको अल्मोड़ा के झूला देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। कहा जाता है कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा के दुर्गा मंदिर में मंदिर की रखवाली शेर करते है।

Jhula devi temple: Story of maa jhula devi temple
Image: Story of maa jhula devi temple (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इसलिए इस धरती को देवताओं की भूमि भी कहा जाता है। आज हम आपको देवभूमि के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां मंदिर की रखवाली शेर करता है। कहा जाता है कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा के दुर्गा मंदिर में मंदिर की रखवाली शेर करते है। ये भी कहा जाता है कि ये शेर आम लोगों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं। झूला देवी मंदिर अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत के पास चौबटिया नामक स्थान पर स्थित है। वहां के स्थानीय लोगों की कुल देवी कही जाती हैं झूला देवी। करीब 700 वर्ष पूर्व चौबटिया एक घना जंगल हुआ करता था,जो जंगली जानवर से भरा हुआ था, शेर तथा चीते यहां बसने वाले लोगो पर आक्रमण करते और उनके पालतू पशुओं को अपना आहार बनाते।

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इन आक्रमणों और पशु क्षति से परेशान हो कर सभी गांव वालों ने देवी मां दुर्गा की उपासना प्रारम्भ की। ये कहा जाता है कि मां ने प्रसन्न होकर ग्राम पीलखोली के एक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा की ‘तुम इस विशेष स्थान पर खुदाई करो, तो तुम्हें मेरी एक प्रतिमा प्राप्त होगी। उस स्थान पर मेरे मंदिर की स्थापना करने से तुम्हें इस समस्या का समाधान मिल जाएगा’। गांव वालों ने एकत्रित होकर खुदाई प्रारम्भ की खुदाई तो वास्तव में मां की मूर्ति प्राप्त हुई। उसके बाद नियमित रूप से मां की आराधना होने लगी। कहा जाता है कि उस दिन के बाद से जंगली जानवरों का आंतक थम सा गया और स्थानीय लोग अपने पशुओं के साथ बिना संकट के घूमने लगे। कहा जाता है कि बाद में मां की इच्छा पर ही इस मंदिर में झूले डाले गए।

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तभी से मंदिर का नाम मां झूला देवी विख्यात हो गया। यहां मन से मांगी जाने वाली सभी मुरादें पूरी होती हैं और इन मान्यताओं की प्रतीक यहां पर मौजूद पर अनगिनत घंटिया हैं। कहा जाता है कि 8वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में खूबसूरती से तराशी गईं पवित्र घंटियां खुदी हुई हैं, और दूर से इन घंटियों की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। घंटियों की मधुर ध्वनि से हर किसी का मन आनंदित हो उठता है। इसके पीछे कहानी जो भी हो...सच हो या झूठ लेकिन यहां मंदिर की रखवाली शेर करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में शेर बिल्कुल शांत तरीके से रहते हैं। रानीखेत शहर से 7 किमी. की दूरी पर स्थित ये लोकप्रिय मंदिर है। नवरात्र पर तो मां के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोग दूर दूर से यहां आकर मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि भक्तों की हर मनोकामना को मां जरूर पूरी करती हैं।