देहरादून: राज्य सरकार शहीद के परिवार को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच समान रूप से बांटने पर विचार कर रही है। जल्द ही इसपर बैठक आयोजित होगी जिसपर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। ऐसा करने वाली उत्तराखंड सरकार देश की पहली सरकार होगी।
Martyr's Compensation to be Split Between Wife and Parents
शहीद अंशुमान के परिवारिक झगड़े ने शहीद परिवारों को मिलने वाले मुआवजे पर देशभर में बहस छेड़ दी है। माता-पिता ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि बहू ने सरकार की सहायता राशि ले ली और उन्हें हिस्सा नहीं दिया। उत्तराखंड सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए बड़ी योजना पर काम कर रही है। अगर यह योजना सफल होती है, तो उत्तराखंड देश की पहली सरकार बनेगी जो शहीदों के माता-पिता के लिए ऐसा करेगी। राज्य सरकार शहीदों की वित्तीय सहायता को उनकी पत्नी और माता-पिता के बीच आधा-आधा बांटने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
बैठक के बाद लिया जाएगा अंतिम निर्णय
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने हाल की कैबिनेट बैठक में शहीद अंशुमान के मामले को लेकर वित्तीय सहायता को पत्नी और माता-पिता के बीच बांटने पर चर्चा की गई है। वर्तमान में शहीदों की पत्नी को 25 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, लेकिन अंशुमान के प्रकरण को ध्यान में रखते हुए इस सहायता को परिवार के सदस्यों के बीच समान रूप से बांटने पर विचार चल रहा है। पेंशन और अन्य संबंधित मुद्दों पर केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। उत्तराखंड सरकार इस मुद्दे पर जल्दी बैठक करने जा रही है जिसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।