उत्तराखंड देहरादूनdoon valley to be free of waste trenching ground remediation

बधाई ! कचरे के पहाड़ से मुक्त होगी दून घाटी.. इंदौर मॉडल की तर्ज पर होगा कूड़े का निस्तारण

सहस्त्रधारा रोड पर स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड से कूड़े के पहाड़ हटाने की कवायद शुरू हो गई है...इसके लिए रेमिडिएशन पद्धति का इस्तेमाल किया जाएगा.. पढ़िये

trenching ground: doon valley to be free of waste trenching ground remediation
Image: doon valley to be free of waste trenching ground remediation (Source: Social Media)

देहरादून: जो लोग देहरादून से प्यार करते हैं, इसे साफ और स्वच्छ देखना चाहते हैं, उनकी ये इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली है। दून में मौजूद कूड़े के पहाड़ों को यहां से जल्द हटा दिया जाएगा, इसके लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। सहस्त्रधारा रोड पर स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में मौजूद कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए प्रशासन इंदौर मॉडल की तर्ज पर काम करेगा। इससे क्षेत्र में सालों से बने कूड़े के पहाड़ गायब हो जाएंगे, रेमिडिएशन पद्धति का इस्तेमाल कर कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। बता दें कि सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में साल 2002 से कूड़ा पड़ रहा था, ये सिलसिला तब रुका, जब जनवरी 2018 में शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट शुरू हो गया। दिसंबर 2017 से यहां कूड़ा गिरना तो बंद हो गया, लेकिन तब तक यहां पर 10 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए थे। अब प्रशासन ने इस समस्या के समाधान के प्रयास शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र और मेयर सुनील उनियाल गामा इसका निस्तारण कर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। चलिए अब आपको बताते हैं कि बायो रेमिडिएशन टेक्निक क्या है, जिससे कूड़े का निस्तारण किया जाएगा। दरअसल इस पद्धति से कूड़े को प्रोसेस करने केलिए दो ट्रॉमल लगाए जाते हैं। जिसके जरिये आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) और कंपोस्ट को कूड़े में से अलग किया जाता है। बचे हुए हिस्से की एचडीपीई लाइनर, जियो सिंथेटिक क्लेलाइनर आदि प्रोसेस के जरिये वैज्ञानिक तरीके से उसकी कैपिंग कर दी जाती है।

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बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये कूड़े का निस्तारण करने के बाद जो कंपोस्ट और आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) निकलेगा, उससे निगम की आमदनी बढ़ेगी। कंपोस्ट का इस्तेमाल जहां खेतों में किया जा सकेगा वहीं ज्वलनशील होने के चलते आरडीएफ का इस्तेमाल शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में बनने वाले वेस्ट टू इनर्जी प्लांट में किया जा सकेगा। आपको बता दें कि रेमिडिएशन पद्धति के जरिए ट्रेंचिंग ग्रांउड पर पड़े सालों पुराने कचरे को साफ करने वाला इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है। वहां करीब 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ गायब हो चुके हैं। अब दून से भी कूड़े के पहाड़ हटाने की कवायद शुरू हो गई है, सहस्त्रधारा रोड से कचरे का निस्तारण कर इलाके को पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले निगम ने साल 2017 में भी कचरा निस्तारण और पार्क निर्माण के लिए आवेदन मांगे थे। जिस पर हैदराबाद इंटीग्रेटेड एमएसडब्ल्यू प्रा. लि. कंपनी ने पॉजिटिव रेस्पांस भी दिया था। लेकिन, मामला शासन में लंबित होने के चलते कार्रवाई नहीं हो पाई थी, अब निगम एक बार फिर फॉर्म में नजर आ रहा है, उम्मीद है जल्द ही दून घाटी कचरे के पहाड़ से मुक्त हो जाएगी।