उत्तराखंड पिथौरागढ़Landslide alert for uttarakhand

सावधान उत्तराखंड: कई जगहों पर बड़े भूस्खलन का खतरा, वैज्ञानिकों ने जारी किया अलर्ट

एक बार फिर से उत्तराखंड को सावधान रहने की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने कुछ जगहों के लिए अलर्ट जारी किया है।

उत्तराखंड: Landslide alert for uttarakhand
Image: Landslide alert for uttarakhand (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: मुसीबत कभी कह कर नहीं आती, इसलिए संभल जाइये...क्योंकि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र यूसैक की सेटेलाइट मैपिंग में जो रिपोर्ट सामने आई है, वो हर उत्तराखंडवासी की चिंता बढ़ाने वाली है। यूसैक की इस रिपोर्ट में पवित्र कैलाश भूक्षेत्र में भारत के हिस्से वाले 7120 वर्ग किलोमीटर भाग पर 518 भूस्खलन क्षेत्र होने की बात सामने आई है। यही नहीं इस क्षेत्र में वन क्षेत्र भी घटे हैं, जिसका सीधा असर पर्यावरण संतुलन पर पड़ रहा है। उत्तराखंड के जिन गांवों पर भूस्खलन का खतरा है, उनमें से ज्यादातर गांव सीमांत जिले पिथौरागढ़ के हैं। मुन्स्यारी और धारचूला ब्लॉक के कई गांव बड़े भूस्खलन की जद में है। आइए आपको इस बारे में वो बातें बताते हैं, जो वास्तव में हैरान करती हैं। यूसेक ने इस बारे में कई बड़ी बातों की जानकारी दी है। जानिए क्या कहती है यूसैक की सैटेलाइट मैपिंग...

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प्राकृतिक आपदाओं के मामले में उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। यूसैक की सेटेलाइट मैपिंग के अनुसार पवित्र कैलाश भूक्षेत्र में आने वाले 36 गांव भूस्खलन से सीधे तौर पर प्रभावित बताए गए हैं। इसके साथ ही 196 गांव भूस्खलन के 200 मीटर के दायरे में और 227 गांव 500 मीटर के दायरे में आ रहे हैं। सेटेलाइट अध्ययन में ये भी पता चला है कि इस इलाके में पिछले 35 साल में 7.5 फीसदी वन क्षेत्र घटा है। आपको बता दें कि पवित्र कैलाश भूक्षेत्र को यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने की कवायद चल रही है। चीन ने अपने हिस्से के क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है। भारत भी जल्द ही अपने हिस्से के क्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के प्रयास कर रहा है। इस संबंध में 17 जनवरी को संस्कृति मंत्रालय में बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

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इससे पहले देहरादून के लिए भूकंप की चेतावनी भी दी जा चुकी है। जीपीएस के माध्यम से पता चला है कि ये पूरा भूभाग हर साल 18 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ता जा रहा है। इस सिकुड़न की वजह से धरती के भीतर ऊर्जा का का जबरदस्त भंडार बन रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऊर्जा ही चिंता का सबसे बड़ा सबब है, जो कभी भी सात या फिर आठ रिक्टर स्केल के भूकंप के रूप में बाहर निकल सकती है। रिसर्च में बताया गया है कि इस पूरे क्षेत्र में बीते 500 से ज्यादा सालों से कोई शक्तिशाली भूकंप नहीं आया है। एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब धरती की सिकुड़न आखिरी स्तर पर होगी। उस वक्त कहीं भी भूकंप के रूप में ये ऊर्जा बाहर निकलेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि नेपाल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। वहां धरती हर साल 21 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ रही थी और इस वजह से साल 2015 में 7.8 रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आया था।