देहरादून: दिलीप डिप्रेशन को हरा पाता तो एक काबिल डॉक्टर बन सकता था। आंखों में डॉक्टर बनने का सपना और दिल में मरीजों की सेवा का जज्बा लिए वो देहरादून आया तो जरूर था, लेकिन डॉक्टरी की पढ़ाई का प्रेशर नहीं झेल पाया। उसने अपने मन की बात किसी को नहीं बताई....और आखिर में परेशान होकर उसने जो कदम उठाया, वो उसके साथियों और परिवारवालों को जिंदगीभर का दर्द दे गया। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के पटेलनगर स्थित हॉस्टल में रहने वाले छात्र दिलीप कुमार ने पंखे से लटक कर जान दे दी। पुलिस को उसके कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। दिलीप एमबीबीएस सेकेंड इयर का छात्र था। एमबीबीएस का स्टूडेंट दिलीप मूल रूप से हरियाणा के गुड़गांव का रहने वाला था। वो साल 2016 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून आया था। यही वो साल था जब मेडिकल कॉलेज को एमसीआई की मान्यता मिली थी।
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बताया जा रहा है कि कॉलेज में ईयर बैक आने की वजह से दिलीप परेशान रहने लगा था। उसका 2017 से श्री महंत इंदिरेश अस्पताल से डिप्रेशन का इलाज भी चल रहा था, लेकिन वो इससे उबर नहीं सका। शनिवार को जब दिलीप के परिजनों ने उसे फोन किया तो किसी ने फोन नहीं उठाया, जिसके बाद परिजनों ने उसके साथी को फोन किया। साथी छात्रों ने दिलीप के कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो पुलिस बुलाई गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़ने के बाद जो मंजर देखा, उसे देख वहां मौजूद छात्र सकते में आ गए। दिलीप की लाश पंखे से लटक रही थी। दिलीप की खुदकुशी के बाद उसके परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पुलिस ने छात्र की लाश कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी है। फिलहाल पुलिस छात्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है