उत्तराखंड When swami vivekananda spent his days in uttarakhand

देवभूमि से स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता रहा, देहरादून-अल्मोड़ा से था गहरा लगाव

क्या आप जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड से स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता रहा है। आइए इस बारे में आपको बताते हैं।

उत्तराखंड. उत्तराखंड न्यूज: When swami vivekananda spent his days in uttarakhand
Image: When swami vivekananda spent his days in uttarakhand (Source: Social Media)

: देवभूमि उत्तराखंड सदियों से साधकों की तपस्थली रहा है। हिमालय के सुदूर अंचल में ऋषि विद्वानों को आज भी तपस्यारत देखा जा सकता है। स्वामी विवेकानंद को भी इस पहाड़ी अंचल से बेहद लगाव था। फिर चाहे वो देहरादून हो या अल्मोड़ा। उन्होंने अपने जीवन के कई दिन यहां ना केवल गुजारे, बल्कि इस जगह को अपना साधनास्थल भी बनाया। पूरी दुनिया को भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान से रूबरू कराने वाले स्वामी विवेकानंद दो बार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आए थे। कहा जाता है कि पहली बार स्वामी विवेकानंद साल 1890 में देहरादून आए थे। अपनी यात्रा के दौरान वो बद्री नारायण सेवा इलाके में पड़े अकाल के बाद श्रीनगर गए थे, यहां से टिहरी के रास्ते वो देहरादून पहुंचे। स्वामी विवेकानंद ने देहरादून में अपने गुरुभाई के साथ कई दिन तक तपस्या की। राजपुर के बावड़ी शिव मंदिर में वो कई दिन तक रहे और अपने गुरुभाई स्वामी तुरियानंद के साथ साधना की।

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दूसरी बार विवेकानन्द साल 1897 में उत्तराखंड आए। स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर स्वामी करूणानंद ने 1916 में यहां आश्रम बनाया। साथ ही रामकृष्ण मिशन धर्मार्थ औषधालय भी शुरू किया गया। 1890 में स्वामी विवेकानंद कलकत्ता से से सीधे उत्तराखंड पहुंचे। नैनीताल से बद्रीकाश्रम की ओर जाते हुए तीसरे दिन कोसी नदी तट पर ध्यानमग्न हो गए। यहां पर उन्हें दिव्य अनुभूतियां हुईं। अल्मोड़ा के कसार देवी स्थित मंदिर में भी स्वामी विवेकानंद ने गहन साधना की थी। 1897 में उन्होंने देवलधार बागेश्वर में भी 47 दिन बिताए थे। चंपावत स्थित मायावती आश्रम की स्थापना स्वामी विवेकानंद के शिष्य ने की थी। ऋषिकेश स्थित चंद्रेश्वर महादेव मंदिर एवं कैलाश आश्रम में भी स्वामी विवेकानंद तपस्यारत रहे। कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने जहां-जहां साधना की, वहां आज भी अद्भुत ऊर्जा महसूस की जा सकती है।