उत्तराखंड benefits of Bergenia Ligulata of himalaya

देवभूमि का अमृत: कैंसर, पथरी और डायबिटीज का अचूक इलाज है ‘शिलफोड़ा’

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट का बहुत धन्यवाद, जो सोशल मीडिया के जरिए एक स्वास्थ्यवर्धक जानकारी उन्होंने दुनियाभर को दी।

Bergenia Ligulata: benefits of Bergenia Ligulata of himalaya
Image: benefits of Bergenia Ligulata of himalaya (Source: Social Media)

: उत्तराखंड औषधियों की खान है। यहां कदम कदम कदम पर मिलने वाली औषधियां गंभीर से गंभीर बीमारियों का अचूक इलाज हैं। अगर आप एक पारखी नज़र वाले हैं और इन औषधियों की पहचान कर सकते हैं, तो गंभीर बीमारियां कभी भी आपके पास नहीं फटकेंगी। कहा जाता रहा है कि पहाड़ों के लोग हमेशा गंभीर बीमारियों से दूर रहे। वो इसलिए क्योंकि उन्होंने पहाड़ों में ही खुद के लिए इलाज ढूंढ लिया था। हर मर्ज के इलाज के लिए एक खास जड़ी होती थी, जिसे पहाड़ों के जंगलों, बुग्यालों से चुनकर लाया जाता था। इन्हीं में से एक जड़ी है ‘शिलफोड़ा जड़ी’। नाम से ही साफ है कि शिला को भी फोड़ देने वाली जड़ी। पथरी का सबसे अचूक इलाज है शिलफोड़ा। आज लोग पथरी के इलाज के लिए शहरों में जाकर महंगे लेज़र ऑपरेशन करवा रही है लेकिन वो ये नहीं जानते कि बिना ऑपरेशन कराए भी पथरी का इलाज आराम से संभव है। आइए शिलफोड़ा की और भी खूबियां आपको बताते हैं।

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शिलफोड़ा को आम भाषा में "पत्थर चट्टा" भी कहा जाता है। यूसेक के निदेशक एमपीएस बिष्ट के मुताबिक कहीं इसे पाषाण भेद तो कहीं शिलफोडा भी कहते हैं। वनस्पति शास्त्रियों ने इसे Bergenia Ligulata बर्जेनिया लिगुलाता वैज्ञानिक नाम दिया है। हिमालयी भू भाग यानी पहाड़ों में शिलफोड़ा की तीन प्रजाति पाई जाती हैं। ये प्रजातियां हैं Bergenia cordifolia (बर्जेनिया कॉर्डिफोलिया), Bergenia crassifolia (बर्जेनिया क्रासीफोलिया) और Bergenia stracheyi (बर्जेनिया स्ट्राचेई)। एमपीएस बिष्ट के मुताबिक शोधकर्ताओँ का मानना है कि Bergenia straacheyi (बर्जेनिया स्ट्राचेई) उच्च हिमालययी भू भाग में मिलता है। ये करीब 3300 मीटर से 4500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसकी गुणवत्ता सबसे ज्यादा असरकारक होती है।

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शिलफोड़ा की तीसरी प्रजाति बर्जेनिया स्ट्राचेई पथरी ही नहीं बल्कि कैंसर और डायबिटीज जैसे असाध्य रोगों को मिटाने मे भी सहायता करती है। यूसेक निदेशक एमपीएस बिष्ट ने फेसबुक पर इस बारे में जानकारी भी दी है। तुंगनाथ और फूलों की घाटी से एकत्र की गई ये जड़ी देखिए।

मित्रों थाली मे सजाकर फिर से कीडा जड़ी पेश नहीं कर रहा हूँ । परन्तु ये उससे किसी मानें मे भी कम नहीं जो आपकी किडनी मे...

Posted by Mahendra Pratap Singh Bisht on Wednesday, July 6, 2016