: गहत की दाल...जिसने भी इसका स्वाद चखा होगा, उसका बार बार इस दाल को खाने का मन करता होगा। दरअसल ये दाल सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि पौष्टिकता का खजाना है। पथरी के इलाज के लिए इससे बेहतर औषधि कोई नहीं मानी जाती। सर्द मौसम में गहत की दाल का स्वाद हर किसी को बरबस याद आता होगा। वैज्ञानिक भाषा में इस दाल को डौली कॉस बाईफ्लोरस नाम दिया गया है। गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा कही जाने वाली गहत उत्तराखंड में होती है। गर्म तासीर की वजह से गहत की दाल कई मायनों में गुणकारी होती है। जिस दाल का पानी ही पथरी जैसा इलाज कर दे, जरा सोचिए उसकी तासीर कैसी होगी। ये ही वजह है कि गहत की दाल का इस्तेमाल कभी विस्फोटक बनाने और ब्लास्टिंग के लिए भी किया जाता था।
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आपको भले ही ये बात अटपटी लगे लेकिन कहा जाता है कि असुविधा के दौर में गहत की दाल का इस्तेमाल विस्फोटक के रूप में होता था। जानकार बताते हैं कि गहत की दाल के विस्फोटक का इस्तेमाल 19 वीं शताब्दी तक चला था। जिस तरह से आजकल चट्टान तोड़ने के लिए डाइनामाइट का इस्तेमाल होता है, उसी तरह से पुराने वक्त में चट्टान तोड़ने के लिए गहत का इस्तेमाल होता था। गहत की दाल का इस्तेमाल आप भात के साथ कर सकते हैं। इसकी पटुड़ी भी बड़ी टेस्टी होती है और खास तौर पर इसके परांठे बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं। इस दाल को रोजाना इस्तेमाल करने से से पथरी और गुर्दे की समस्याओं से लोगों को फायदा मिलता है। इसके अलावा खास बात ये है कि इस दाल की बदौलत पाचन क्रिया भी दुरुस्त होती है।
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कहा जाता है कि गहत की दाल की तासीर बेहद ही गर्म होती है। ये इतनी गर्म होती है कि पेट में मौजूद पथरी को भी नष्ट कर देती है। वैज्ञानिक इसे एन्टीहायपर ग्लायसेमिक गुणों से भरपूर मानते हैं। इसके अलावा इसे Insulin के resistance को कम करने के लिए भी शानदार माना जाता है। गहत की दाल के बीज के छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं। इसके अलावा इंडियन जरनल ऑफ मेडिकल रिसर्च में एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध के मुताबिक गहत की दाल किडनी स्टोन को डिजोल्व करने के गुणों से युक्त होती है। आयुर्वेदिक चिकित्सक भी इसकी दाल का प्रयोग अश्मरी, मूत्रल और Amenorrhea में करते हैं। खास बात ये भी है कि ये दाल वजन को नियंत्रित करने के गुणों से युक्त प्रभाव भी रखती है।