उत्तराखंड उत्तरकाशीearthquake in uttarkashi and rudraprayag

भूकंप के झटकों से हिला उत्तराखंड, सुबह सुबह दहशत में आए लोग!

उत्तराखंड में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील देवभूमि के लिए क्या ये फिर से एक अलर्ट है ?

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Image: earthquake in uttarkashi and rudraprayag (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना और ना जाने कितनी ही मुश्किलों से पहाड़ के लोगों का वास्ता पड़ता रहता है। कभी भूकंप की मार जीने नहीं देती, कभी भूस्खलन से गांव के गाव तबाह हो जाते हैं, कभी बारिश कहर बनकर टूटती है तो कभी बादल कहर बरसाते हैं। अब एक बार फिर से भूकंप की वजह से पहाड़ के लोगों के दिलों में डर बसा है। आज सुबह ही उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। तड़के आए इस भूकंप की वजह से लोग दहशत में आ गए थे। कई जगह लोग डरकर घरों से बाहर निकल आए थे। बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.06 बजे उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के सीमा क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मैग्नीट्यूड बताई जा रही है।

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झटका भले ही हल्का था, लेकिन उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग दो ऐसे जिले हैं, जहां बीते कुछ सा में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए और खास बात ये है कि भूकंप का केंद्र भी यहीं पाया गया। लगातार आ रहे भूकंप के झटके ये साबित कर रहे हैं कि ये एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। इसके पीछे एक खास वजह भी है। इससे पहले भूगर्भ वैज्ञानिक बता चुके हैं कि 50 सालों से हिमालय में जो भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में एकत्रित है, उसका अभी सिर्फ 5 प्रतिशत ही बाहर आया है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने अपनी रिसर्च में ये बात सामने आई है। वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ये इतनी ऊर्जा है, जिससे कभी भी आठ रिक्टर स्केल तक का बड़ा भूंकप आ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सारे छोटे बड़े भूकंपों को मिलाकर सिर्फ पांच फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकली है।

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इसका मतलब है कि अभी 95 फीसदी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में ही जमा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऊर्जा कब बाहर निकलेगी, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। एक वैज्ञानिक रिसर्च ये भी कहती है कि देहरादून में भी एक भूगर्भीय प्लेट धधक रही है। साथ ही कहा गया कि इंडियन प्लेट भूगर्भ में 14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से सिकुड़ रही है। इस वजह से ऊर्जा का अध्ययन करना जरूरी था। इस रिसर्च में उत्तरकाशी में 1991 में आए 6.4 रिक्टर के भूकंप, किन्नौर में 1975 में आए 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप और चमोली में 1999 में आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूकंप के बारे में रिपोर्ट बताई गई हैं। अब एक बार फिर से उत्तरांड में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं जो कि वास्तव में बड़ी चिंता का सबब साबित हो सकते हैं।