पौड़ी गढ़वाल: थल सेना की बागडोर संभाल रहे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। रिटायरमेंट की तैयारियों के बीच उन्होंने अपने फ्यूचर प्लान को लेकर बड़ा ऐलान किया है। आर्मी चीफ ने साफ कर दिया है कि वो भले ही सेना से रिटायर हो जाएं, लेकिन देश की सेवा करते रहेंगे। उनकी योजनाओं का कनेक्शन उत्तराखंड से भी है। दिल्ली में दिए एक बयान में आर्मी चीफ ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद वो अपने गांव जाना चाहते हैं, जहां वो बच्चों के लिए स्कूल खोलेंगे। अपने गांव में मरीजों के लिए अस्पताल भी बनवाएंगे, ताकि लोगों को इलाज के लिए भटकना ना पड़े। मंगलवार को दिल्ली स्थित हेडक्वॉर्टर में रिटायरिंग ऑफिसर सेमिनार था। रिटायरिंग ऑफिसर सेमिनार का आयोजन हर महीने होता है, जिसमें वो आर्मी अफसर हिस्सा लेते हैं जो उस महीने रिटायर हो रहे होते हैं, सेमिनार को आर्मी चीफ संबोधित करते हैं। मंगलवार को हुआ रिटायरिंग सेमिनार बतौर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का आखिरी सेमिनार था। सेमिनार में उन्होंने उत्तराखंड, पहाड़ स्थित अपने गांव और भविष्य की योजनाओं को लेकर खूब बातें कीं। जनरल रावत ने कहा कि आर्मी चीफ बनने के बाद जब मैं पहली बार अपने गांव गया तब वहां तक पहुंचने के लिए रोड नहीं थी। प्रशासन को भी बुरा लगा कि आर्मी चीफ पहली बार अपने गांव आ रहे हैं और गांव तक के लिए सड़क ही नहीं है, जिसके बाद वहां रोड बननी शुरू हुई।
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जनरल बिपिन रावत का नाम सीडीएस बनने की दौड़ के चलते भी चर्चा में है। 15 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिसे सीडीएस कहा जाएगा। माना जा रहा है कि जनवरी तक देश के पहले सीडीएस के नाम का ऐलान हो जाएगा। ये पद जनरल बिपिन रावत को मिलने की भी चर्चाएं हैं। जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उनका गांव सैण बमरौली ग्रामसभा में पड़ता है। पिछले साल जब वो अपने गांव गए तो उन्हें एक किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलना पड़ा था। जनरल रावत अब गांव के हालात सुधारने के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके गांव में रिटायर्ड फौजियों को ईसीएचएस (ECHS) के लिए करीब 80 किलोमीटर दूर कोटद्वार तक जाना पड़ता है, जबकि दिल्ली और बड़े शहरों में ये सुविधा सिर्फ 2-3 किलोमीटर की दूरी पर मिल जाती है। रिटायरमेंट के बाद वो फौजियों को बेसिक सुविधा मुहैया कराने के लिए काम करना चाहते हैं। गांव में बच्चों के लिए स्कूल और अस्पताल की जरूरत है, रिटायरमेंट के बाद वो इन बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करेंगे।