उत्तराखंड चम्पावतitbp missing soldier meets his family after ten years in champawat

उत्तराखंड: 10 साल पहले लापता हुआ जवान घर लौटा, गांव वालों ने कहा-चमत्कार

पिछले दस साल से लापता आईटीबीपी के जवान विक्रम सिंह का वापस लौट आना किसी चमत्कार से कम नहीं है...

champawat: itbp missing soldier meets his family after ten years in champawat
Image: itbp missing soldier meets his family after ten years in champawat (Source: Social Media)

चम्पावत: चमत्कार की कहानियां हम सबको अच्छी लगती हैं, ये हमें उम्मीद देती हैं, हौसला देती हैं और जब ये कहानियां सच होती हैं तो ईश्वर पर भरोसा और मजबूत हो जाता है। आईटीबीपी के जवान विक्रम की पत्नी मंजू भी ऐसे ही चमत्कार की साक्षी बनी। किस्मत के थपेड़ों ने दस साल पहले आईटीबीपी के जवान विक्रम को उनके परिवार से दूर कर दिया था। इसके बाद जो कुछ भी हुआ वो उन्हे पूरे 10 साल तक गुमनाम जिंदगी के तौर पर कचोटता रहा। बुधवार सुबह साढ़े 9 बजे लापता विक्रम की सालों बाद घर वापसी हुई। विक्रम और पत्नी मंजू ने एक दूसरे को अरसे बाद देखा तो खुशी से दोनों की आंखें डबडबा गईं। पूरा परिवार विक्रम के स्वागत के लिए मौजूद था। भाई-भाभी, बेटे और बहू से मिल विक्रम बेहद खुश नजर आए। पूजा-अर्चना हुई मांगल गीत गाए गए। विक्रम को आखिरकार उनका परिवार मिल ही गया। चलिए अब फ्लैशबैक में चलते हैं और बताते है कि आखिर विक्रम के साथ हुआ क्या था।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: गौचर मेले में ‘अमिताभ बच्चन-2’, DM स्वाति के साथ खेला केबीसी-2..देखिए
चंपावत के रहने वाले विक्रम सिंह आईटीबीपी कानपुर में तैनात थे। वो एसआई थे। 2 फरवरी 2010 में विक्रम सिंह अचानक लापता हो गए। इसके बाद शुरू हुआ तकलीफों का दौर। परिवार वाले उन्हें ढूंढते रहे, पूजा-पाठ पर लाखों रुपये खर्च कर दिए, पर विक्रम सिंह का कुछ पता नहीं लगा। विक्रम अपने गांव से आखिरी बार 20 दिसंबर 2009 को निकले थे। इसके बाद वापस नहीं लौटे। जब गए थे तो गांव में सड़क तक नहीं थी, अब जब आए तो देखा कि घर तक सड़क पहुंच गई है। इन दस सालों में काफी कुछ बदल गया। दोनों बेटियों रेखा और हेमा की शादी हो गई। बेटे संदीप की भी शादी हो गई है, जबकि छोटा बेटा प्रदीप पढ़ रहा है। विक्रम अब 58 साल के हो चुके हैं। परिजनों ने बताया कि विक्रम को पिछले दस सालों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। जब वो मिले तो उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, कपड़े गंदे थे वो बेसुध थे। परिजनों ने बताया कि जनवरी 2010 में विक्रम विभाग के काम से चंडीगढ़ गए थे। 1 फरवरी 2010 को वो वापस लौटे, पर 2 फरवरी को विक्रम बिस्तर से गायब मिले। इस दौरान वो ना जाने कहां-कहां भटकते रहे। छह महीने पहले दिल्ली में काम करने वाले नाथ सिंह ने विक्रम को हनुमान मंदिर के पास भटकते देखा था। बात-बात में विक्रम सिंह ने बताया कि वो गांव डूंगरासेठी के रहने वाले हैं। नाथ सिंह भी चंपावत के रहने वाले थे। कुछ दिन पहले जब वो छुट्टी पर अपने घर आए तो डूंगरासेठी के रिटायर्ड शिक्षक देव सिंह चौधरी से विक्रम सिंह का जिक्र किया। ये बात देव सिंह ने विक्रम सिंह के परिजनों को बताई, जिसके बाद परिजन दिल्ली पहुंचे और विक्रम को घर ले आए। इस तरह पूरे 10 साल बाद आईटीबीपी के जवान विक्रम सिंह की घर वापसी हो सकी। अंत भला तो सब भला, परिजनों ने कहा कि अब वो विक्रम की गुमशुदगी की रिपोर्ट निरस्त कराएंगे, साथ ही उनका इलाज भी कराएंगे।