उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालPriests of dhari devi temple say they wont shift statue of deity

धारी देवी की प्रतिमा नए मंदिर में शिफ्ट नहीं होगी, पुजारियों ने जीवीके पर लगाए गंभीर आरोप

धारी देवी मंदिर के पुजारियों ने ऐलान किया है कि जब तक जीवीके अपने वादे पूरे नहीं करेगी, तब तक देवी की प्रतिमा को शिफ्ट नहीं किया जाएगा...

Siddhapith Dhari Devi: Priests of dhari devi temple say they wont shift statue of deity
Image: Priests of dhari devi temple say they wont shift statue of deity (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: पौड़ी में स्थित मां धारी देवी के मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है, अब मां धारी की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया जाना है, लेकिन मंदिर के पुजारी इसके लिए तैयार नहीं हैं। पुजारियों का कहना है कि जलविद्युत परियोजना संस्था जीवीके ने अपने वादे पूरे नहीं किए। कंपनी ने कहा था कि मंदिर के प्रवेश के लिए बना पुल चौड़ा किया जाएगा, ताकि यात्रियों को आने-जाने में परेशानी ना हो। दूसरी सुविधाएं देने के भी वादे किए थे, पर वादे निभाए नहीं। प्रतिमा स्थापना को लेकर पुजारी समुदाय और जीवीके एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। पुजारी समुदाय ने ऐलान किया है कि जब तक कंपनी अपने वादे पूरे नहीं करेगी तब तक वो मां धारी देवी की प्रतिमा को शिफ्ट नहीं होने देंगे। मां धारी देवी का मंदिर पौड़ी और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित है।

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पौराणिक सिद्धपीठ मां धारी देवी को उत्तराखंड का रक्षक माना जाता है। साल 2013 में धारी देवी मंदिर, श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के डूब क्षेत्र में आ गया था। उस दौरान जीवीके ने जल विद्युत परियोजना के सभी गेट बंद कर दिए थे, जिस वजह से मंदिर में पानी भरने लगा था। मंदिर का अस्तित्व बचाए रखने के लिए आनन-फानन में धारी देवी की प्रतिमा को शिफ्ट करना पड़ा था। ये अजब संयोग है कि जिस दिन मां धारी की प्रतिमा को शिफ्ट किया गया था, उसके अगले ही दिन केदारनाथ में आपदा आ गई। लोग तो यहां तक कहते हैं कि प्रतिमा स्थापित करने के लिए उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी, देवी के कोप की वजह से ही केदारघाटी को आपदा का दंश झेलना पड़ा। अब मां धारी देवी के स्थाई मंदिर परिसर निर्माण का काम पूरा हो गया है, पर पुजारी समुदाय ने वादे पूरे ना होने तक धारी देवी की प्रतिमा को मंदिर में शिफ्ट ना करने का ऐलान कर दिया है। पुजारी मंदिर के प्रवेश पुल को चौड़ा करने और मंदिर में प्रवेश के लिए सीधा रास्ता बनाने की मांग कर रहे हैं।