देहरादून: ट्रैफिक रूल्स की अनदेखी करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में जुर्माना राशि कई गुना बढ़ा दी गई है। धड़ाधड़ चालान कट रहे हैं। कुछ लोग फैसले का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं ऐसे लोग ज्यादा हैं जिन्हें ये फैसला रास नहीं आ रहा। गुरुवार को केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड में वाहनों के पहिए जाम हो गए। प्रदेश के डेढ़ लाख निजी वाहन संचालक हड़ताल पर हैं। निजी वाहन जहां-तहां खड़े हैं। सिटी बसें नहीं चल रहीं। यही हाल टैक्सी, मैक्स, विक्रम और ऑटो का है। प्राइवेट वाहनो के साथ-साथ स्कूल बसें भी नहीं चलीं। हर जगह हड़ताल का असर दिख रहा है। पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था धड़ाम हो गई है। स्कूली बच्चे सुबह से परेशान हैं। यात्री भी इधर-उधर भटकते दिखे। राजधानी देहरादून के साथ-साथ दूसरी जगहों में भी यात्री परेशान नजर आए। हरिद्वार में तो हड़ताली दबंगई पर उतारू हो गए। बच्चों को स्कूल छोड़ने जा रहे वाहनों को सड़क पर रोक लिया गया। गाड़ियों को रोक कर बच्चों को जबरन सड़क पर उतार दिया गया। आगे पढ़िए
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चलिए अब उत्तराखंड परिवहन महासंघ की भी बात सुन लेते हैं। महासंघ ने राज्य सरकार से कहा है कि वो जुर्माना दरें ना बढ़ाए। कैबिनेट बैठक में जुर्माना ना बढ़ाने का प्रस्ताव लाया जाए। भारी जुर्माने के खिलाफ महासंघ ने गुरुवार को प्रदेश व्यापी चक्का जाम का ऐलान किया था। जिसके फलस्वरूप आज डेढ़ लाख से ज्यादा वाहनों के पहिए जाम रहे। ऋषिकेश में भी नए मोटरयान अधिनयम का विरोध हो रहा है। ऋषिकेश सेंटर से गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी और श्रीनगर रूट के लिए कोई बस नहीं चली। टैक्सी और मैक्स वाहनों का संचालन भी बंद है। ऑटो रिक्शा और विक्रम भी नहीं चले। उत्तराखंड परिवहन निगम ने ऋषिकेश और देहरादून रूट पर 5 एक्स्ट्रा बस लगाई हैं। हड़ताल की वजह से हर जगह यात्री परेशान हैं। यात्रियों ने निजी वाहन चालकों पर मनमानी का आरोप भी लगाया।