उत्तराखंड अल्मोड़ाDM NITIN BHADAURIYA HELPS POOR GIRL

पहाड़ के गरीब घर की बेटी अंकिता अब पढ़ेगी लिखेगी, अफसर बनेगी... DM ने उठाया पूरी पढ़ाई का खर्च

वास्तव में उत्तराखंड में कुछ ऐसे जिलाधिकारी भी हैं, जिनकी जितनी तारीफ की जाए उतना कम है।

उत्तराखंड न्यूज: DM NITIN BHADAURIYA HELPS POOR GIRL
Image: DM NITIN BHADAURIYA HELPS POOR GIRL (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: कहते हैं इंसान की जिंदगी में सबसे बुरा वक्त होता है गरीबी। इस दौर से निकलकर जिसने जग जीता, उसके तो कहने ही क्या। लेकिन उस गरीबी के दौर में उस शख्स की कोई अनजान शख्स मदद कर दे, तो वो ताउम्र उस देवदूत को नहीं भूल सकता। पहाड़ की ये बेटी भी गरीबी की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। अल्मोड़ा के भगतोला गांव के एक गरीब घर की लड़की अंकितापढ़ने लिखने में होनहार है लेकिन परिवार की गरीबी आड़े आ रही थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस हालात में भी अंकिता ने इंटरमीडिएट में 82 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। ये बेटी आगे की पढ़ाई के लिए जिलाधिकारी नितिन भदौरिया से मिली। जिलाधिकारी नितिन भदौरिया लड़की से मिले और उसके अंकों को देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने उसी वक्त अंकिता की उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी ले ली। अंकिता का एडमिशन एसएसजे परिसर में कराया और उसके रहने, खाने और फीस का खर्चा भी खुद देने का आश्वासन दिया है।

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घर में अंकिता की बीमार मां है और उनके अलावा दो बहनें और एक छोटा भाई भी है। अंकिता के पिता मजदूरी करते हैं और परिवार का गुजारा करते हैं। घर में अंकिता सबसे बड़ी संतान हैं, तो सारी जिम्मेदारियां भी उनके ही कंधे पर हैं। घर के काम करने के अलावा अंकिता अपनी दोनों बहनों और भाई को पढ़ाती भी है। इंटर करने के बाद अंकिता बेहद परेशान थी कि परिवार का आगे क्या होगा? पढ़ाई ही एक विकल्प है और अच्छी नौकरी पाकर ही वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सकती है। इन्हीं सब बातों में उलझी अंकिता कुछ दिन पहले जिलाधिकारी से मिलने पहुंच गई। जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने अंकिता से कई सवाल पूछे और अंकिता ने एक एक करके सवालों के जवाब भी दिए। डीएम ने कहा कि अंकिता एक दिन बड़ी अधिकारी बनेगी। उन्होंने अंकिता की पढ़ाई, रहने, खाने की जिम्मेदारी खुद ली और एसएसजे परिसर में प्रवेश दिलवा दिया। शाबाश अंकिता इसी तरह पढ़ाई करते रहना। धन्य हैं ऐसे जिलाधिकारी, जो जानते हैं पहाड़ की बेटियां बहुत कुछ कर सकती हैं...बस उन्हें हिम्मत देनी होती है।