उत्तराखंड ANIL BALUNI SPEAKING GARHWALI IN PARLIAMENT

संसद में गढ़वाली ओखाण, अनिल बलूनी ने गढ़वाली में कही बड़ी बात..देखिए वीडियो

पलायन रोकने के लिए मुहिम चला रहे सांसद अनिल बलूनी ने संसद में अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली कहावत से की..देखिए वीडियो

उत्तराखंड: ANIL BALUNI SPEAKING GARHWALI IN PARLIAMENT
Image: ANIL BALUNI SPEAKING GARHWALI IN PARLIAMENT (Source: Social Media)

: पहाड़ से पलायन रोकने के लिए अभियान छेड़ चुके राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। अनिल बलूनी सांसद होने के साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं। हाल ही में अनिल बलूनी उस वक्त चर्चा में आ गए जब उन्होंने संसद में अपने संबोधन गढ़वाली में एक खास बात की। नोटबंदी और जीएसटी के संदर्भ में उन्होंने एक गढ़वाली कहावत कही और इस कहावत के जरिए अपनी बात दूसरे लोगों को समझाई। उन्होंने कहा कि ‘दाना सयांणु कु बोल्यूं और औंलु कु स्वाद, बाद मां औंदु...इस कहावत का मतलब है कि बुजुर्ग लोगों की कही हुई बातें और आंवले का स्वाद बाद में पता चलता है। सांसद बलूनी इस कहावत के जरिए मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी के फैसले के दूरगामी परिणाम बता रहे थे। संसद में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिस तरह बुजुर्गों की बातों और आंवले का स्वाद हमें बाद में पता चलता है, ठीक उसी तरह मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी के फैसले के दूरगामी परिणाम हमें बाद में पता चलेंगे।

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ये पहला मौका है जबकि संसद में किसी सांसद ने गढ़वाली भाषा में अपनी बात रखी हो। सांसद अनिल बलूनी बोली-भाषा और संस्कृति के प्रति हमेशा समर्पित रहे हैं। संसद जैसी विशाल संस्था में उन्हें गढ़वाली बोलते वक्त ना तो झिझक हुई और ना ही शर्म का अहसास हुआ। एक सच्चे और अच्छे जनप्रतिनिधि की यही खासियत होती है। उत्तराखंड में हो रहे विकासकार्यों में सांसद बलूनी का अहम योगदान है। पलायन रोकने के लिए वो मेरा वोट, मेरा गांव अभियान चला रहे हैं। ये अभियान लगातार सुर्खियों में है। एनएसए अजीत डोभाल और आर्मी चीफ बिपिन रावत भी इस अभियान से जुड़ चुके हैं। सोशल मीडिया के जरिए लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। प्रवासी उत्तराखंडियों ने भी मुहिम की खूब सराहना की। ऐसे प्रयास जारी रहने चाहिए, पहाड़ को ऐसे ही जनप्रतिनिधियों की जरूरत है।

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