उत्तराखंड हरिद्वारpremsingh of uttarakhand donated his son organs

इंसानियत: देवभूमि के इस पिता को सलाम, बेटे का अंगदान कर 4 लोगों की जिंदगी बचाई

पहाड़ के रहने वाले प्रेम सिंह जैसी हिम्मत जुटाना हर किसी के बस की बात नहीं, ऐसे लोगों की वजह से ही इंसानियत जिंदा है...पढ़िए इनकी कहानी

उत्तराखंड न्यूज: premsingh of uttarakhand donated his son organs
Image: premsingh of uttarakhand donated his son organs (Source: Social Media)

हरिद्वार: जो बेटा कलेजे का टुकड़ा हो, उसके कलेजे का टुकड़ा किसी और को देने की हिम्मत जुटाना किसी के लिए भी आसान नहीं है। फिर बात चाहे किसी की जान बचाने की ही क्यों ना हो, अंगदान की हिम्मत कम लोग ही जुटा पाते हैं। पर उत्तराखंड के रहने वाले एक पिता ने ऐसे मौके पर स्वार्थी ना होने का फैसला किया, बेटा ब्रेन डेड हुआ तो उन्होंने बेटे का दिल, लिवर और दोनों किडनियां दान कर दीं। ये पिता हैं उत्तराखंड के रहने वाले प्रेम सिंह, इंसानियत की खातिर इन्होंने जो त्याग किया है, वो करने का साहस कम लोग ही दिखा पाते हैं। शनिवार को दिल्ली के एम्स में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम बनने की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें डॉक्टरों ने अंगदान करने वाले मरीजों के अनुभव शेयर किए। इसी कार्यक्रम में उत्तराखंड के रहने वाले पिता प्रेम सिंह का भी जिक्र हुआ, जिन्होंने अपने बेटे का अंगदान कर चार लोगों को नई जिंदगी दी। कार्यक्रम में प्रेम सिंह ने भी हिस्सा लिया और अपना दर्द बांटा। आगे पढ़िए प्रेम सिंह की कहानी

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प्रेम सिंह की जिंदगी में ये साल बेहद तकलीफों भरा रहा। अप्रैल में पहाड़ में रह रही उनकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी। बेटे ने पिता तक ये खबर पहुंचानी चाही। कई बार फोन भी किया, पर पहाड़ों पर नेटवर्क का हाल तो आपको पता ही है, गांव में नेटवर्क नहीं था। बेटा मोहन नेटवर्क जोन में मोबाइल ले जाने के लिए पास के पहाड़ पर चला गया। बस तब से मोहन की आवाज किसी ने नहीं सुनी। पिता को फोन करते वक्त मोहन का पैर फिसला और वो 20 फुट नीचे जा गिरा। गंभीर हालत में मोहन को पहले जिला अस्पताल और फिर एम्स में दाखिल कराया गया। पर मोहन के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई, वो ब्रेन डेड हो गया था। इसी दौरान डॉक्टरों ने प्रेम सिंह को बेटे के अंगदान करने के लिए प्रेरित किया। प्रेम सिंह के लिए ये फैसला लेना आसान ना था, फिर भी चार लोगों की जान बचाने के लिए उन्होंने ऐसा किया। मोहन के अंगदान से चार लोगों को जिंदगी मिली। प्रेम सिंह कहते हैं कि उनका बेटा नहीं रहा, ये सूनापन जीवन में कभी नहीं भरेगा, पर उन्हें तसल्ली है कि उनके बेटे का दिल किसी और के सीने में धड़क रहा है। प्रेम सिंह जैसे लोगों की वजह से ही इंसानियत जिंदा है। उनके एक फैसले की बदौलत आज चार लोग जीवन की खूबसूरती देख पा रहे हैं...ऐसे जीवट लोगों को हमारा सलाम..