उत्तराखंड रुद्रप्रयागfire in jungle of uttarakhand

पहाड़ के लोगों से अपील...ऐसे लोग जहां भी दिखें, तुरंत पुलिस को खबर करें..जंगल बचाइए

ये देखना होगा कि जंगल में आग लगाने वाले आरोपी हैं कौन, कहां से आए हैं और ऐसा करने के पीछे इनका क्या मकसद है...ये मामला बहुत गंभीर है।

उत्तराखंड जंगल में आग: fire in jungle of uttarakhand
Image: fire in jungle of uttarakhand (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के जंगल धधक रहे हैं, जंगलों में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। पहाड़ों पर दूर-दूर तक जंगल जलते हुए दिख रहे हैं, हर तरफ धुआं उठता दिखाई दे रहा है, अब तक हम यही सोचते थे कि आग लगने के पीछे प्राकृतिक वजहें हो सकती हैं। चीड़ के पिरुल को भी इसके लिए दोष दिया जाता था, लेकिन सच ये नहीं है। सच ये है कि पहाड़ में ही कुछ स्वार्थी, मतलबपरस्त लोग पहाड़ों की हरियाली को लील रहे हैं, जंगलों को आग लगा रहे हैं। शर्मनाक है...दुखद है लेकिन सच यही है। मामला रुद्रप्रयाग जिले का है, जहां वन विभाग ने रुद्रप्रयाग रेंज में आग लगाते एक शख्स को रंगे हाथ पकड़ लिया। इस आदमी के बारे में मुखबिर ने वन विभाग को सूचना दी थी। विभाग को बताया गया था कि क्षेत्र में रहने वाला एक आदमी ही जंगलों में आग लगा रहा है। जिसके बाद वन विभाग की टीम सतर्क हो गई, दोपहर साढ़े तीन बजे वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जंगल में आग लगाते आदमी को पकड़ लिया।

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आरोपी का नाम मोहन सिंह है, जो कि गांव पाबौ घडियाल का रहने वाला है। आरोपी को स्वींग सेरा के पास आरक्षित जंगलों में आग लगाते पकड़ा गया है, उसने अपना अपराध कबूल लिया है, जिसके बाद उस पर 20 हजार का जुर्माना लगाया गया है। उसे भविष्य में ऐसा ना करने की चेतावनी भी दी गई है, पर बड़ा सवाल ये है कि क्या जंगलों को आग लगाने वाले ऐसे लोगों के लिए सजा के तौर पर जुर्माना लगाना ही काफी है। पहाड़ के हर जिले से ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जहां जंगलों को कोई और नहीं बल्कि ग्रामीण ही आग के हवाले कर देते हैं। इससे हर साल लाखों की वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, पशु-पक्षी असमय ही मौत की नींद सो जाया करते हैं। जिस प्रदेश में लोगों ने अपनी जान देकर पेड़ों को बचाया है, जंगल बचाने के लिए पूरी उम्र खर्च कर दी, उस पहाड़ में ये कैसे लोग हैं जो जंगलों में आग लगा रहे हैं। जंगलों में आग लगने की अधिकतर घटनाएं इंसानों की वजह से होती हैं, जैसे आगजनी, कैंपफायर, बिना बुझी सिगरेट-बीड़ी फेंकना, जलता हुआ कचरा छोड़ना, माचिस या ज्वनशील चीजों से खेलना।

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रुद्रप्रयाग लेकर हल्द्वानी तक, चमोली से लेकर नई टिहरी तक हर जगह जंगलों में आग लगी हुई है। तस्वीरें देखेंगे तो आपका कलेजा मुंह को आ जाएगा। हमारे जंगल तो खतरे में हैं ही, वन्यजीवों की जान पर भी बन आई है। बड़ा सवाल ये है कि सरकार और विभाग क्या कर रहा है...क्या पर्यावरण संरक्षण केवल कागजों पर ही पूरा कर लिया जाएगा। वन विभाग के कर्मचारी भी आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। बदरीनाथ हाईवे से लगे जंगल के भी आग के चपेट में आने से हाईवे पर पत्थर छिटकने का डर बना हुआ है। ये बहुत गंभीर मामला है, सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा। जंगलों में आग लगाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी, देखना होगा कि जंगलों को आग लगाने वाले लोग आखिर हैं कौन, इसके पीछे उनकी क्या मानसिकता है। इस मामले में जल्द ही कुछ ना किया गया तो हो सकता है भविष्य में हमें कुछ करने का मौका ही ना मिले....