उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालStory of rajeev bisht

शाबाश राजीव बिष्ट: नौकरी छोड़ी और कोटद्वार को दिलाई देश में अलग पहचान..जानिए क्यों

आज कहानी एक ऐसे नौजवान की...जिसने नौकरी छोड़कर पक्षियों के लिए ऐसा काम किया कि कोटद्वार ने देश में एक अलग पहचान बनाई है।

उत्तराखंड: Story of rajeev bisht
Image: Story of rajeev bisht (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: इंसान और प्रकृति का अटूट रिश्ता है। ये धरती तभी तक सुरक्षित रहेगी, जब तक इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन बना रहेगा। धरती के दूसरे प्राणियों की तरह पक्षी इस संतुलन की डोर को मजबूती से थामे रहते हैं, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जो पक्षियों के संरक्षण को गंभीरता से लेते हैं। जाने अंजाने हमारी हरकतों से पक्षियों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है, ऐसे हालात में पहाड़ के एक युवा ने पक्षियों को बचाने का बीड़ा उठाया है। इस युवा का नाम है राजीव बिष्ट, जो कि कोटद्वार के रहने वाले हैं। पक्षियों की देखभाल के लिए राजीव ने नौकरी तक छोड़ दी। राजीव की कोशिशों का ही नतीजा है कि कोट्द्वार आज पक्षी प्रेमियों की पसंदीदा जगह बन गया है। लोग दूर-दूर से यहां पक्षियों को निहारने के लिए पहुंचते हैं। देशभर के किसी भी राज्य से आज कोई कोटद्वार आता है..तो राजीव का काम देखकर गर्व करता है।

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राजीव लोगों को प्रकृति से जुड़ना सिखा रहे हैं...उन्हें प्रकृति और जीवों से प्यार करना सिखा रहे हैं। यही नहीं ग्रामीण भी इस मुहिम में राजीव का साथ दे रहे हैं। कल तक जिन पक्षियों का ग्रामीण शिकार करते थे, आज उन्हीं की सुरक्षा में जुटे हैं। पक्षी बेखौफ होकर गांवों के आंगन में चहचहाते नजर आते हैं। राजीव देहरादून और दिल्ली के स्कूलों में शारीरिक शिक्षक रहे हैं। वो चाहते तो किसी शहर में आराम की नौकरी कर सकते थे, लेकिन इससे इतर उन्होंने प्रकृति को अपनी कर्मस्थली बनाया। अब कोटद्वार के आस-पास के गांव जमरगड्डी, सुनारगांव, फतेहपुर, आमसौड़, झवाणा सहित कई गांवों में ग्रामीण पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूक हो चुके हैं। राजीव की कोशिशों का ही नतीजा है कि कोटद्वार बर्ड के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है...साथ ही यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। जिससे ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।