उत्तराखंड देहरादूनStory of sumit from dehradun

देहरादून के सुमित ने 16 लाख की नौकरी छोड़ी, अब गरीबों के लिए कर रहे हैं बेमिसाल काम

उत्तराखंड रत्न से सम्मानित सुमित की कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है। जरूर पढ़िए और शेयर कीजिए

उत्तराखंड: Story of sumit from dehradun
Image: Story of sumit from dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, सेवा ही हमें इंसान होने का मतलब समझाती है और हमें दूसरों के सुख-दुख से जोड़ती है। यूं तो ये केवल पंक्तियां हैं, जो आज कल केवल किताबों में दिखती हैं, लेकिन देहरादून के सुमित कुमार ने इंसान होने का मतलब ना सिर्फ समझा, बल्कि अपने सेवाभाव से दूसरों को भी समझाया। सुमित गरीबों के लिए दवा बैंक चलाते हैं। उनके दवा बैंक से गरीब ना केवल दवाएं लेते हैं, बल्कि उन्हें इलाज भी मुहैय्या कराया जाता है। गरीबों की सेवा के लिए सुमित ने लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी। सुमित के सेवाभाव से दूसरे लोग भी प्रेरित हो रहे हैं, और गरीबों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। चंद्रबनी भुत्तोवाला के रहने वाले सुमित ने पॉलीटेक्निक के साथ ही फिजिक्स में एमएससी किया है। फरीदाबाद की एक कंपनी में उन्हें सालाना 16 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी भी मिली, लेकिन सुमित का मन नौकरी में नहीं रमा।

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करनाल में पढ़ाई के दौरान सुमित कुष्ट रोगियों की सेवा करते थे। जब वो घर वापस लौटे और परिजनों को चेरिटेबल सोसायटी बनाने की बात बताई तो परिजन उन पर नौकरी करने का दबाव बनाने लगे, लेकिन सुमित फैसला ले चुके थे। साल जुलाई 2017 में उन्होंने घरों से बची दवाएं इकट्ठा कर घर पर ही दवा बैंक खोल गरीबों को दवा बांटना शुरू कर दिया।उन्होंने गरीबों और असहायों की मदद के लिए 'अमूल्य जीवन विकास चेरिटेबल सोसायटी' बनाई है। सुमित की मेहनत रंग लाई। कई डॉक्टर्स उनकी मुहिम से जुड़े और गरीबों का मुफ्त इलाज करना शुरू कर दिया। यही नहीं मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ ही दूसरे समाजसेवी भी उनका साथ देने के लिए आगे आए। मेडिकल स्टोर और दुकानों में रखे डिब्बों में लोग दवाएं रख जाते हैं, जिन्हें जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जाता है। सुमित के इस जज्बे ने उनके परिजनों पर भी असर डाला। सुमित के परिजन अपना घर जरूरतमंंदों की सेवा के लिए देकर, खुद दूसरे घर में शिफ्ट हो गए हैं। सुमित की संस्था गरीबों को इलाज के साथ ही उन्हें खाना भी उपलब्ध कराती है। इस मुहिम के लिए सुमित को उत्तराखंड रत्न, द रॉबिन हुड और भगत सिंह अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं।