: देहरादून..यहां घर बनाना शायद हर किसी का सपना है। देखा गया है कि बीते 4-5 सालों से देहारादून में घर बनाने वालों की तादात में काफी बढ़ोतरी हुई है। अब अगर आप देहरादून में घर बनवाने की सोच रहे हैं, तो ये खबर सिर्फ आपके लिए है।
आपको पता होगा कि कई रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हो चुका है कि भूकंप के लिहाज से देहरादून बेहद ही संवेदनशील जगह है। वैज्ञानिक पहले ही चिंता जाहिर कर चुके हैं कि देहरादून के करीब 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में जमीन के अंदर भयंकर ऊर्जा पनप रही है। हाईकोर्ट भी इस बात को लेकर काफी परेशान दिखी थी। इसलिए अब देहरादून में भवन निर्माण के सभी नक्शों में स्ट्रक्चरल इंजीनियर का प्रमाण पत्र ज़रूरी कर दिया गया है। मतलब साफ है कि देहरादून में अब भूकंपरोधी भवन ही बनाए जा सकेंगे।
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आपको बता दें कि देहरादून में अब तक 9 मीटर से ज्यादा ऊंचाई के भवनों में ही नक्शा पास कराने में आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता थी। अब मसूरी- देहरादून विकास प्राधिकरण यानी MDDA ने सभी तरह के भवनों के निर्माण के लिए नक्शा पास कराने में स्ट्रक्चरल इंजीनियर के सर्टिफिकेट को ज़रूरी कर दिया है।
हालांकि यहां पेंच फंसा हुआ है। जिन स्ट्रक्चरल इंजीनियरों को ये काम करना है, उनके लाइसेंस शासन में ही अटके हुए हैं। ज्यादातर मामले लाइसेंस रिन्यूवल के हैं। अब एमडीडीए की नई शर्त के बाद बड़ी संख्या में ऐसे इंजीनियरों की जरूरत पड़ेगी। अब देखना है कि शासन द्वारा इस मामले में क्या कदम उठाया जाता है। एक और खास बात जान लीजिए अगर स्ट्रक्चरल इंजीनियर से सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद भी भवन के डिजाइन में खामी पाई जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी इंजीनियर की ही होगी।
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MDDA के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव का इस मामले में कहना है कि अब जो भवन एक मंजिला भी है, उसे भी स्ट्रक्चरल इंजीनियर की स्वीकृति जरूरी होगी। देहरादून जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस कदम के बाद भवनों की बेहतर क्षमता को सुनिश्चित किया जाएगा।
आपको बता दें कि इससे पहले कई रिपोर्ट्स बता चुकी हैं कि देहरादून में एक बड़े भूकंप की प्रबल संभावना बन रही है। करीब 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में वेन एलन बेल्ट तैयार हो रही है। वेन एलन बल्ट यानी, जहां धरती के अंदर असीमीत ऊर्जा का भंडार रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऊर्जा कभी भी बड़े भूकंप में तब्दील हो सकती है।