उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालlatest report of migration commission uttarakhand

पौड़ी गढ़वाल के दिग्गजों को सलाम..'देशसेवा के लिए छोड़ी जन्मभूमि'..पलायन आयोग की रिपोर्ट पढ़िए

पलायन आयोग ने ताजा रिपोर्ट सीएम त्रिवेन्द्र को सौंपी है.. इसके साथ ही एक बार फिर से 'पौड़ी गढ़वाल में पलायन' के मुद्दे पर मीडिया के गलियारों में बहस शुरू हो गयी है.. पर हर सिक्के के दो पहलू होते हैं..

पलायन आयोग: latest report of migration commission uttarakhand
Image: latest report of migration commission uttarakhand (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: जनरल बिपिन रावत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रॉ-चीफ अनिल धस्माना, एक्टर दीपक डोबरियाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ... ऐसे सैकड़ों नाम हैं जो पौड़ी जिले निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखंड के सबसे चमकदार सितारे बन गए हैं। पलायन की तरफदारी हम नहीं कर रहे लेकिन अगर ये लोग अपनी जान से भी प्यारी 'जन्मभूमि' से निकलकर इस पूरे विश्व को अपनी 'कर्मभूमि' नहीं बनाते तो शायद इन दिग्गजों की प्रतिभा के साथ अन्याय होता। निसंदेह.. ऐसे और भी कई लोग होंगे.. जो हर दिन अपनी आँखों में एक सपना लिए अपना घर, अपना गांव, अपना शहर छोड़ते हैं। पलायन आयोग की ताजा रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कि इंसानी आँखों ने बेहतर दुनिया के सपने देखना नहीं छोड़ा है। उत्तराखंड का पौड़ी जिला जहां एक तरफ पलायन की सबसे ज्यादा मार झेल रहा है वहीं, यही वो जिला है जहां से उत्तराखंड की सबसे ज्यादा प्रतिभाएं निकली हैं... जिन्होंने अपने बेहतरीन कर्मों से प्रदेश और पौड़ी गढ़वाल का नाम रौशन किया है। आंकड़े ये भी कहते हैं कि प्रशासनिक सेवाओं और भारतीय सेना में भी उत्तराखंड से सबसे ज्यादा भागीदारी पौड़ी जिले की है।

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पलायन आयोग ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र को पलायन की रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में एक बार फिर से ये बात सामने आई है कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में 52 फीसदी युवाओं ने रोजगार के लिए अपनी जन्मभूमि छोड़ी है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा. शरद सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को शनिवार को ये रिपोर्ट सौंपी। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में नेगी ने पौड़ी के सभी 15 विकासखंडों में पलायन के कारण, उनके प्रभाव और नियंत्रण के उपाय भी बताए हैं। डॉ नेगी ने रिपोर्ट में ये भी बताया कि पिछली चार जनगणनाओं के मुताबिक पौड़ी की जनसंख्या में लगातार गिरावट आ रही है। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान ग्रामीण जनसंख्या में कमी तो आई लेकिन नगरीय जनसंख्या में बढ़ोत्तरी भी हुई है। जाहिर है ये आंकड़ा बड़ा है... पौड़ी की कुल 1212 में से 1025 ग्राम पंचायतें पलायन से प्रभावित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें से तकरीबन 52% पलायन केवल आजीविका और रोजगार के लिए हुआ है। सबसे ज्यादा पलायन 26 से 35 वर्ष आयु के बीच के लोगों ने किया है।

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आपको बता दें कि 25 फीसदी गांव और तोक लगभग मानव विहीन हो गए हैं... वर्ष 2011 के बाद जहां पौड़ी जिले में तकरीबन 25% गांव और तोक पूरी तरह मानव विहीन हो गए हैं... वहीं, 112 तोक, गांव या मजरों की जनसंख्या में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है। इसके साथ ही पलायन आयोग ने इसे रोकने के लिए सिफारिशें भी पेश की हैं। जिनमें गांव की अर्थव्यवस्था व विकास को वृद्धि देना, कृषि एवं गैर-कृषि आय में बढ़ावा देने की जरूरत, ग्राम केंद्रित योजनाएं बनाई जाने की आवश्यकता, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता अनिवार्य और कौशल विकास की योजनाएं चलाना शामिल है। पलायन आयोग ने आगे अपनी सिफारिशों में सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को गांवों से जोड़ने, महिलाओं की भूमिका व बेहतरी पर फोकस करने, ग्रोथ सेंटरों की स्थापना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ळिए योजनाएं बनाने, पशुपालन, कृषि व उद्यानिकी विकास के साथ ही सूक्ष्म और लघु उद्योग व मार्केटिंग और नए पर्यटन क्षेत्रों का विकास और पुरानों का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकताएं भी बताई हैं। निश्चित रूप से यदि ये योजनायें भली-भाँती चलायी जायें... तो उत्तराखंड की और भी प्रतिभाएं भविष्य में प्रदेश का नाम रौशन करेंगी।