उत्तराखंड चमोलीValley of flowers uttarakhand

देवभूमि में दुनिया की बेहद खूबसूरत जगह, जानिए किसने ढूंढी थी फूलों की घाटी

रामायण और महाभारत में जिस जगह का नाम नंदकानन दिया गया है। वो जगह देवभूमि उत्तराखंड में फूलों की घाटी नाम से जानी जाती है।

Uttarakhand tourism: Valley of flowers uttarakhand
Image: Valley of flowers uttarakhand (Source: Social Media)

चमोली: यूं तो फूलों की घाटी के बारे में आपने बहुत बातें सुनी और देखी होंगी। लेकिन कुछ बातें ऐसी भी हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है। दुनिया भर को बड़े बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी स्वर्ग से कम नहीं है। उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी विश्व धरोहर घोषित है। साल 2005 में इसे UNESCO की तरफ से वर्ल्ड हैरिटेज घोषित किया गया था। ये वो जगह है जिसका जिक्र नंदकानन के नाम से “रामायण और महाभारत” में भी मिलता है | ये माना जाता है कि इसी जगह से हनुमानजी संजीवनी लेकर आए थे। हालांकि स्थानीय लोग इस जगह को “परियों और किन्नरों का निवास” कहते हैं और यहां आने से आज भी कतराते हैं। इन सबके बीच ये भी जानना जरूरी है कि आधुनिक युग में इस जगह की खोज किसने की थी।

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साल 1931 मे ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेंक एस स्माइथ ने इस जगह की खोज की थी। दरअसल फ्रेंक एस स्माइथ उस दौरान कामेट पर्वत आरोहण के लिए आए थे। आरोहण के दौरान वो रास्ता भटक गए थे और यहां पहुंचे थे। कहा जाता है कि इस दौरान वो यहां की बेमिसाल खूबसूरती देखकर काफी प्रभावित हुए थे। फ्रैंक एस. स्मिथ के साथ उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ भी थे। वो यहां की बेइंतहां खूबसूरती से इतने प्रभावित हुए थे कि 1937 में दोबारा फूलों की घाटी में आए। 1938 में फ्रेंक एस स्माइथ ने ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ नाम से एक किताब भी प्रकाशित की थी। इसके बाद साल 1982 में फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। कुदरत के बीच पहाड़ों में फूलों की थाल की तरह सजी ये घाटी आंखों को बेहद सुकून देती है।

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खूबसूरत पहाड़ों के बीच घिरी ये घाटी बर्फ पिघलने के बाद खुद ही बेहद खूबसूरत फूलों से घिर जाती है। ये वहीं घाटी है दुनिया में विलुक्त होने की कगार पर खड़े दुर्लभ जीव भी दिखते हैं। हिम तेंदुआ, काला भालू, कस्तूरी मृग, भूरा भालू, रंग-बिरंगी तितलियों और नीली भेड़ों का भई प्राकृतिक वास है। बुधवार को फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई। इस साल यहां रिकॉर्ड बना है। इस साल 750 विदेशी पर्यटकों समेत कुल 14965 पर्यटकों ने इस घाटी का दीदार किया। ये अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है। साल 2017 में 13754 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे थे। इस बार पर्यटकों से कुल मिलाकर 25 लाख रुपये की कमाई हुई है, जो कि एक अच्छा संकेत है। हर साल एक जून को पर्यटकों के लिए ये घाटी खोली जाती है और 31 अक्टूबर को बंद कर दी जाती है।