उत्तराखंड देहरादूनReports about ganga in gaumukh

बड़े खतरे की चपेट में उत्तराखंड..गोमुख में गंगा के अब तीन मुख हुए, वैज्ञानिक भी हैरान!

ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा उत्तराखंड पर मंडरा रहा है। बताया जा रहा है कि गोमुख में गंगा के अब तीन मुख हो गए हैं।

Reports about ganga in gaumukh: Reports about ganga in gaumukh
Image: Reports about ganga in gaumukh (Source: Social Media)

देहरादून: लगातार हो रहे मौसम परिवर्तन का असर गंगोत्री ग्लेशियर पर भी दिखने लगा है। और सबसे बड़ा बदलाव दिखा है गंगा नदी के उद्गम स्थल पर। हमने आज तक यही सुना और देखा है कि गंगा की धारा गंगोत्री के गोमुख से निकलती है। लेकिन अब यहां पहुंच रहे पर्यटक और भक्त ये देखकर हैरान है कि उद्गम गोमुख से अब गंगा की दो नए मुख बन गए है। इसका अर्थ यह है कि अब उद्गम गोमुख में गंगा के तीन मुख हो गए है। प्रकृति के इस बदलाव के चलते तीन मुहाने बनने से गंगोत्री ग्लेशियर के अस्तित्व को लेकर कुछ लोगों की चिंता बढ़ी है तो वही विशेषज्ञ इसे प्राकृतिक प्रक्रिया बता रहे हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र में बीते कुछ सालों से हो रही भारी बारिश और भूस्खलन ने गोमुख का स्वरूप बदल दिया है। जहां गोमुख में बने एक मुहाने से गंगा नदी की धारा निकलती थी, वही अब लगातार टूट रहे हिमखंडों के कारण गोमुख में दो नए मुख बन गए हैं।

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इस वजह से अब गंगा की धारा तीन मुहानों से निकल रही है। वही ग्लेशियर में जमा मलबे के कारण गोमुख में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं, जिससे गंगोत्री ग्लेशियर के भारी मात्रा में टूटने की आशंका बढ़ गई है.. जो एक चिंता का विषय है। वहीं वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के ग्लेशियोलॉजिस्ट डीपी डोभाल ने इसे प्राकृतिक प्रक्रिया बताया है। हालांकि उन्होंने घटना के पीछे बीते साल गोमुख में बनी झील और मौसम परिवर्तन का हाथ होने की संभावना भी जताई है। उन्होंने कहा कि गोमुख में जमा बर्फ सेडिमेंट के ऊपर टिकी है, जिससे गंगोत्री ग्लेशियर की अन्य परतों के मुकाबले काफी कच्ची है। ऐसे में गोमुख क्षेत्र में बीते कुछ सालों से हो रही भारी बारिश और भूस्खलन के कारण यह बर्फ आसानी से टूट जाती है। हालांकि बिना सर्वे किए मुहाने बनने के कारणों के बारे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग ने उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण तंत्र में कई बदलाव किए हैं।

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बीते 20-30 साल की रिपोर्ट के अनुसार गंगोत्री क्षेत्र में पहले 4000 मीटर की ऊंचाई वाले हिस्सों तक साल में मात्र 200 मिलीमीटर तक बारिश होती थी, लेकिन आज 5000 मीटर की ऊंचाई वाले हिस्सों में भी साल में 400 मिमी तक बारिश दर्ज की जा रही है। वही बर्फबारी कम होने से स्नो यानी कच्ची बर्फ को आइस यानी पक्की बर्फ बनने का मौका नहीं मिल रहा है। इससे स्नो लाइन पीछे खिसकने लगी है और उसके स्थान पर पेड़ पौधे उगने लगे हैं। बीते कुछ सालों में गंगोत्री धाम के पास गंगा भागीरथी में भारी मलबा जमा होने के कारण रीवर बैड काफी ऊंचा हो गया है। गोमुख क्षेत्र में जमा मलबा भी बहकर नीचे आ रहा है और गंगोत्री के आसपास जमा हो रहा है। जिसे जल्द हटाया जाना चाहिए वरना भविष्य में गंगा का उफान गंगोत्री धाम में तटवर्ती आबादी के साथ ही गंगोत्री मंदिर के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।