उत्तराखंड dudhyadi devi temple uttarakhand

Video: देवभूमि की दुध्याड़ी देवी, जहां भक्तों को परेशान नहीं देखती मां भगवती!

कहते हैं कि देवभूमि की दुध्याणी मां भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। इस मंदिर की कहानी भी बड़ी अलौकिक है।

uttarakhand temple: dudhyadi devi temple uttarakhand
Image: dudhyadi devi temple uttarakhand (Source: Social Media)

: राज्य समीक्षा के कुछ लेखों में हम आपके लिए उत्तराखंड के उन मंदिरों की कहानी लेकर आते हैं, जहां आज भी ऐसी बातें देखने को मिलती हैं, जिन वजहों से उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। इस बार की कहानी भी बेहद खास है। आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, शायद आपने इस मंदिर के बारे में पहले भी सुना होगा, या हो सकता है कि कछ लोग इस मंदिर के बारे में जानते ही ना हों। टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक की गोनगढ़ पट्टी में एक गांव का नाम है दयूल, ये गांव पौनाड़ा के पास पड़ता है। इसी गांव में मौजूद है मां दुध्याड़ी देवी का मंदिर। इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि सदियां बीत गई लेकिन इस मंदिर के रहस्य और चमत्कार खत्म नहीं हुए। इस मंदिर में आए भक्तों को मां दुध्याड़ी देवी कभी भी निराश नहीं करती।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - Video: पहाड़ों में भोलेनाथ का मंदिर, यहां हर साल गिरती है बिजली, हर साल टूटता है शिवलिंग !
भक्तों को होने वाले हर प्रकार के दुख को मां किसी भी हाल में देख नहीं सकती। भक्त अगर सच्चे दिल से माता के पास फरियाद लेकर जाएं तो उनकी मनोकामना पूरी होती है। अब आपको इस मंदिर की रहस्यमयी कहानी के बारे में भी बताते हैं। कहा जाता है कि एक बार हाट नाम की जगह पर हटवाल नाम के दुष्ट बुद्दि वाले व्यक्ति का कब्जा था, वो दुष्ट उस इलाके के सभी लोगोँ को बेहद प्रताड़ित करता रहता था। कहा जाता है कि हटवाल स बचने के लिए स्थानीय लोगों ने दध्याड़ी देवी की आराधना की थी। कहा जाता है कि हटवाल नाम के उस दुष्ट व्यक्ति की एक गाय थी, वो गाय हर दिन जंगल में चरने के लिए जाती, तो एक पेड़ क नीचे खड़ी हो जाती थी। वहां पर खड़ी होकर गाय के थनों से दूध की धारा खुद ही गिरने लगती थी।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - उत्तराखंड में ‘भगवान शिव’ का वो प्रिय स्थान, जहां ‘त्रिशूल रूप’ में विराजमान हैं मां दुर्गा !
कुछ वक्त बाद हटवाल को गाय के घर मे आकर दूध ना देने का कारण पता चला, तो उसने गाय को घर मे ही बंधवा दिया। उसने उस पेड़ को भी कटवाकर खंभे बनवा दिए, जहां गाय दूध देने जाती थी। जब लोगों ने मां की आराधना की तो भगवती ने अपना रौद्र रूप धारण कर दिया। मां ने हटवाल को समाप्त कर क्षेत्रवासियों को भय से मुक्त कर दिया। कहा जाता है कि गांव वालों ने उसी पेड़ के नीचे मंदिर बनवाया। ये स्थान आज द्यूल के नाम से जाना जाता है। यहां राणा जाति के व्यक्ति को भट्ट जाति के ब्राह्मण द्वारा त्रीफल और जनेऊ से दीक्षित किया जाता है। इस दीक्षा क बाद से भगवती की पूजा के लिए नियुक्त किया जाता है। खास बात ये भी है कि ये जगह बेहद ही खबसूरत और शांत जगह पर है। इस वजह से लोग यहां बार बार आतेे रहते हैं।

जय हो माँ भगवती दुध्याडी माता की जय हो

Posted by Vijaypal Lodal on Saturday, September 23, 2017