उत्तराखंड रुद्रप्रयागheart tuching story of dm mangesh ghildiyal

डीएम मंगेश घिल्डियाल ने हौसला बढ़ाया, तो बिना कोचिंग के IAS बनी देवभूमि की बेटी

जिलाधिकारी हो तो ऐसा..डीएम मंगेश घिल्डियाल की इस प्रेरणादायक कहानी को पढ़िए। डीएम ने हौसला बढ़ाया तो IAS बनी देवभूमि की बेटी

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Image: heart tuching story of dm mangesh ghildiyal (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: अपूर्वा पांडे...उत्तराखंड के हल्द्वानी के अमरावती कॉलोनी की रहने वाली इस बेटी ने हाल ही में IAS परीक्षा में अपना दम दिखाया। बिना कोचिंग के अपूर्वा ने IAS की परीक्षा में अव्वल नंबर हासिल किए। अपूर्वा ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को दिया है। अपूर्वा ने 10वीं की पढ़ाई सेंट मेरी कॉंवेंट स्कूल नैनीताल से पास की थी। उस वक्त 96.4 फीसदी अंकों के साथ अपूर्वा ने कुमाऊं में टॉप किया था। इसके बाद अपूर्वा ने 12वीं की पढ़ाई बीयरशिवा स्कूल हल्द्वानी से की और 93.8 अंक हासिल किए। इसके बाद अपूर्वा ने पंतनगर विश्वविद्यालय से बीटेक मैकेनिकल की पढ़ाई की थी। अपूर्वा के दिल में हमेशा एक IAS अफसर बनने का सपना रहा और इस बेटी ने उस सपने को पूरा कर दिखाया। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए IAS मंगेश घिल़्डियाल ने अपूर्वा को हौसला बढ़ाया।

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अपूर्वा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इंटरव्यू से पहले डीएम मंगेश घिल्डियाल ने उनसे बातचीत की थी। डीएम मंगेश घिल्डियाल से उनके चाचा डा. विमल पांडे ने बात करायी। करीब 10 मिनट तक की बातचीत में मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि खुद पर भरोसा रखो। इंटरव्यू के वक्त वो ही दिखना, जैसी तुम हो। इंटरव्यू के दौरान पैनल में विशेषज्ञ होते हैं जो थोड़ी से गलती या झूठ को बेहद आसानी से पकड़ लेते हैं। इसलिए इंटरव्यू के वक्त आत्मविश्वास के साथ प्रवेश करना और उनके सवालों के जवाब देना। इसअपूर्वा ने बताया कि इंटरव्यू रूम में उन्होंने डीएम मंगेश घिल्डियाल की बातों को याद किया और हर सवाल का जवाब दिया। अपूर्वा ने बताया कि उनका इंटरव्यू करीब 35 से 40 मिनट तक चला। इंटरव्यू में पांच सदस्यीय कमेटी शामिल थी।

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ये बात आज हर कोई जानता है कि डीएम मंगेश घिल्डियाल अपनी कार्यशैली की वजह से उत्तराखंड में युवाओं के आइकन बन गए हैं। साल 2011 में मंगेश घिल्डियाल ने आईएएस की परीक्षा में पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की थी। इस वक्त मंगेश घिल्डियाल के पास भारतीय विदेश सेवा यानी इंडियन फॉरेन सर्विसेज़ में जाने का मौका था लेकिन उन्होंने उत्तराखंड कैडर चुना और आईएएस की नौकरी करने का फैसला लिया। सिर्फ कुछ ही वक्त के भीतर मंगेश घिल्डियाल ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी सबसे पहली पोस्टिंग बागेश्वर में हुई थी। वो वहां इतने लोकप्रिय हो गए थे कि जब उनका तबादला बागेश्वर से रुद्रप्रयाग हुआ तो सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। तबादले के विरोध में स्कूल और बाजार भी बंद किए गए थे। सलाम है ऐसे जिलाधिकारियों को जो अपने अनुभव का इस्तेमाल करके भविष्य के लिए पौध तैयार कर रहे हैं।