: केदारनाथ आपदा में लोगों को क्या दर्द मिला था, इसका अंदाजा आप इंन चंद पंक्तियों से लगा सकते हैं ‘’ना जीवन बचा ना घरों की निशानी, पहाड़ों पर टूटा पहाडों का पानी ,कहीं दिल परेशान कहीं आखें नम हैं, कहां जा रहे थे कहां आज हम हैं .जो बिझड़े हैं उनकी मिले कुछ निशानी, पहाड़ों पे टूटा पहाड़ों का पानी’’ केदारनाथ आपदा पर ये गीत काफी पहले बन चुका था। हो सकता है कि आपने ना सुना हो, इसलिए हम इस गीत को आपके सामने लेकर आए हैं। आज तक ने इस गीत को तैयार किया था। आदेश श्रीवास्तव ने इस गीत में संगीत और आवाज दोनों ही दी थी। हालांकि अब आदेश श्रीवास्तव इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन इस गीत के जरिए उन्होंने केदार आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी थी। इसके अलावा सुपरहिट गायक शान ने इस गीत को बेहतरीन अंदाज में लोगों के सामने पेश किया था।
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केदारनाथ की वो आपदा कोई भी नहीं भूल सकता। जब महादेव की नगरी में ऐसी तबाही मची थी कि हर कोई इसका शिकार बन गया था। जहां तक नजर जाती थी, वहां तबाही का ही मंजर दिखता था। इसी को लेकर इस गीत का एक पैरा कुछ ऐसा है, जरा ध्यान दीजिएगा। ‘’ना देखा किसी ने ना भोगा था अब तक, जो सच ध्यान में भी ना आया था अब तक, सुना हमने जो आंसुओं की जुबानी, पहाड़ों पे टूटा पहाड़ों का पानी’’। केदारनाथ के दर पर कभी आदेश श्रीवास्तव खुद सिर झुकाते थे। आज भले ही आदेश इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका ये संगीत और केदारनाथ के प्रति प्यार कोई नहीं भूल सकता। आदेश के साथ साथ शान ने भी अपना प्यार केदारनाथ के लिए दिखाया था।
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इस गीत की आखिरी पंक्तियां दिल को कुरेदने का काम करती हैं। ‘’ये कुदरत के तेवर हमारी खताएं, किसे क्या बताएं किसे क्या सुनाएं, तबाही के मंजर दुखों की कहानी ,पहाड़ों प टूटा पहाड़ों का पानी’’। इस गीत की एक एक लाइन दिल को छू देने वाली है। हर लाइन में एक दर्द छुपा है, जिसे सुनकर आप भी एक बार से लिए सब कछ भुला देंगे। वो आपदा का दौर कोई नहीं भूल सकता, जब मानवजाति पर ही खतरा मंडरा गया था, चीख पकार के बीच जिंदगी से जद्दोजहद का वो पल भुलाना बेहद ही मुश्किल है।