उत्तरकाशी: उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। पिछले कुछ समय से यहां लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं।
Scientist Research About uttarakhand Earthquake
साल 1999 में चमोली में और साल 1991 में उत्तरकाशी में आए भूकंप से उत्तराखंड में कैसी तबाही मची थी, ये हम सब जानते हैं। अब भूधंसाव से जूझ रहे जोशीमठ को लेकर डराने वाली खबर आई है। दून विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विपिन कुमार का कहना है कि अगर जोशीमठ और उत्तरकाशी के भटवाड़ी में 6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया तो वहां की जमीन 20 से 21 मीटर तक खिसक सकती है। उन्होंने यह दावा अपने शोध के आधार पर किया। आगे पढ़िएशोध की बड़ी बातें
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यह शोध यूरोपियन जियो साइंस यूनियन के जनरल नैचुरल हैजर्ड्स एंड अर्थ सिस्टम साइंसेज में अप्रैल 2023 में प्रकाशित हो चुका है। इस अध्ययन को डीएसटी प्रायोजित परियोजना की ओर से फंड दिया गया था, जिसे हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यशपाल सुंदरियाल ने प्राप्त किया था। डॉ. विपिन कुमार का दावा है कि यह भारत का पहला शोध है, जिसमें यह बताया गया है कि बारिश होने, सीवेज के पानी का ज्यादा बहाव होने या भूकंप आने पर जमीन कितना खिसक सकती है। डॉ. विपिन ने कहा कि जोशीमठ और भटवाड़ी मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) वाले एरिया में बसा हुआ है। यह एक फॉल्ट है। जहां पर भूकंप आने की संभावना अधिक रहती है। शोध के दौरान जोशीमठ और भटवाड़ी से सैंपल लेकर वहां के एरिया को कंप्यूटर की मदद से तैयार किया गया। इसके बाद यहां पर बारिश का पानी, सीवेज वाले पानी और भूकंप का कंपोनेट डालकर देखा कि अगर भविष्य में यहां पर भूकंप आ जाए तो यहां की जमीन अपने धरातल से कितना अलग हट सकती है।