उत्तराखंड देहरादूनDehradun Paonta Sahib New Four Lane Highway

देहरादून से पांवटा का सफर सिर्फ 35 मिनट में होगा पूरा, जानिए नए फोरलेन हाईवे की खूबियां

हाईवे के बनने से दून-पांवटा की दूरी पांच से सात किमी तक कम हो जाएगी। इससे यात्रियों का समय बचेगा, ईंधन की खपत भी कम होगी।

Dehradun Paonta New Highway: Dehradun Paonta Sahib New Four Lane Highway
Image: Dehradun Paonta Sahib New Four Lane Highway (Source: Social Media)

देहरादून: पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में सफर को आसान बनाने के लिए बड़ी सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है। आने वाले वक्त में देहरादून से पांवटा साहिब का सफर भी आसान होने जा रहा है।

Dehradun Paonta Sahib New Highway

बल्लूपुर-पांवटा सड़क परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस सड़क परियोजना के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 1594.33 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी दी है। परियोजना के तहत पैकेज टू का काम फरवरी में शुरू हो चुका है। इसके तहत बल्लूपुर से मेदनीपुर तक फोर लेन हाईवे बनाया जा रहा है अब 15 अप्रैल से पैकेज वन का काम शुरू होने जा रहा है। इसके तहत मेदनीपुर से पांवटा साहिब तक निर्माण कार्य होगा। इस परियोजना के पूरा होने से न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ से आने-जाने वालों को भी फायदा होगा। मार्ग के बनने से दून-पांवटा की दूरी पांच से सात किमी तक कम हो जाएगी। इससे मार्ग पर चलने वालों के समय और ईंधन की बचत होगी।

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प्रोजेक्ट के तहत भीड़भाड़ वाले शहर पांवटा साहिब, हरबर्टपुर, सहसपुर, सेलाकुई और सुद्धोवाला को बाईपास करते हुए करीब 22 किमी लंबाई का ग्रीन फील्ड तैयार किया जा रहा है। इस हिस्से में काम शुरू कर दिया गया है। ग्रीन फील्ड रोड पर सफर करते हुए लोग करीब पौने दो घंटे की दूरी को महज 35 मिनट में पूरा कर पाएंगे। परियोजना के तहत उत्तराखंड और हिमाचल के कुल 25 गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। जमीन के बदले किसानों को कुल 588.33 करोड़ रुपये मुआवजे के भुगतान की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। हिमाचल के चार गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई है, जबकि उत्तराखंड के 21 गांवों के किसानों की 127 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। उत्तराखंड वाले हिस्से के लिए पर्यावरणीय स्वीकृतियां मिल चुकी हैं, जबकि हिमाचल वाले हिस्से के लिए मंजूरी मिलना बाकी है। दो चरणों में प्रस्तावित प्रोजेक्ट को फरवरी 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।