देहरादून: फरवरी बीता नहीं और गर्मी का अहसास होने लगा है। इस बार फरवरी में बारिश भी सामान्य से बेहद कम हुई, ऐसे में भीषण गर्मी पड़ने के पूरे आसार हैं।
Uttarakhand may face power shortage
अब गर्मी है तो पंखे-एसी भी चाहिए और बिजली भी, लेकिन प्रदेश में बिजली संकट गहराने वाला है। वो इसलिए क्योंकि केंद्रीय पूल से जो विशेष कोटे की 300 मेगावाट बिजली 12 जनवरी से मिल रही है, उसकी मियाद 28 फरवरी को खत्म हो रही है। राज्य सरकार इस कोटे को बढ़ाने की लगातार मांग कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजा है, वो इसी सप्ताह ऊर्जा मंत्री से मुलाकात भी कर सकते हैं। 12 जनवरी से केंद्र सरकार के कोटे से 300 मेगावाट सस्ती बिजली मिलने के बाद यूपीसीएल को रोजाना तीन से चार मिलियन यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है।
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उत्तराखंड के काशीपुर में स्थित दो संयंत्र बंद पड़े हुए हैं। ये दोनों 321 मेगावाट के संयंत्र हैं। अगर यह चलते हैं तो राज्य को राहत मिल सकती है। केंद्रीय पूल से मिलने वाली बिजली के दाम 4.50 से 5 रुपये प्रति यूनिट हैं, जबकि बाजार में बिजली के दाम 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हैं। ऐसे में केंद्रीय पूल से जो सस्ती बिजली मिली थी, उससे यूपीसीएल ने प्रतिदिन करीब सात करोड़ बचाए। उधर, केंद्र सरकार ने गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र चलाने के लिए 28 फरवरी को बैठक बुलाई है। अगर बैठक में कोई पॉजिटिव हल नहीं निकला तो 1 मार्च से बिजली संकट गहरा सकता है। यूपीसीएल पर बोझ बढ़ेगा और बाजार से करीब 10 से 12 मिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी। राज्य सरकार इस संकट से उबरने की लगातार कोशिश कर रही है। अब सबकी निगाहें 28 फरवरी को होने वाली बैठक पर हैं।