चमोली: Pulwama Attack 2019 14 फरवरी साल 2019...ये दिन देश को गहरा जख्म दे गया। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में साल 2019 में हुए आतंकी हमले में देश ने अपने 44 जवानों को खो दिया था, जिनमें उत्तराखंड के दो लाल भी शामिल थे।
Uttarakhand Martyr Mohanlal Raturi Virendra Singh
पुलवामा हमले की घटना को सालों बीत गए, लोगों की जिंदगी आगे बढ़ गई, लेकिन जिन परिवारों के सिर से रहनुमा का साया उठा था, वो अब भी दर्द में हैं। पुलवामा में शहीद होने वालों में देहरादून के मोहनलाल रतूड़ी और ऊधमसिंहनगर के वीरेंद्र सिंह शामिल थे। शहीद मोहन लाल रतूड़ी मूलरूप से उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के रहने वाले थे। वो साल 1988 में सीआरपीएफ का हिस्सा बने थे। मोहनलाल के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी ने बताया कि पिता हमेशा देश की रक्षा को लेकर उनसे बातें करते थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र हो या फिर जम्मू के आतंकी क्षेत्र, इनके कई किस्से मोहनलाल ने बच्चों को सुनाए थे।
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Pulwama Attack 2019
27 दिसंबर 2018 को मोहनलाल एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे, लेकिन उस वक्त किसे पता था कि मोहनलाल अब कभी जिंदा नहीं लौट सकेंगे। उन्होंने फोन पर जल्द ही घर आने की बात कही थी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं सका। ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के जवान वीरेंद्र सिंह भी पुलवामा में हुए आत्मयघाती हमले में शहीद हुए थे। वीरेंद्र सिंह के दो बच्चे हैं, जिनके सिर से असमय ही पिता का साया उठ गया। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई जय राम सिंह व राजेश राणा हैं। जयराम सिंह बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं, जबकि राजेश राणा घर में खेती बाड़ी का काम देखते हैं। बता दें कि पुलवामा हमले के बाद चले एनकाउंटर में उत्तराखंड के दो जांबाज लाल मेजर विभूति ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट भी शहीद हो गए थे। मंगलवार को सीएम धामी ने हमले में शहीद हुए देश के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की।