उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand former DGP BS Sidhu land grabbing case

उत्तराखंड के पूर्व DGP ने मरे हुए शख्स को जिंदा दिखाकर कब्जाई जमीन, पड़ गए लेने के देने

पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू former DGP BS Sidhu ने नकली नाथूराम और कुछ गवाहों को दिखा कर जमीन अपने नाम रजिस्टर करवा ली, जबकि असली नाथूराम की मौत साल 1983 में हो चुकी थी।

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Image: Uttarakhand former DGP BS Sidhu land grabbing case (Source: Social Media)

देहरादून: रिटायर्ड डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है। मामला सरकारी जमीन पर कब्जा करने और पेड़ों को काटने से जुड़ा है।

Uttarakhand former DGP BS Sidhu land grab case

इस संबंध में शिकायतकर्ता आशुतोष सिंह प्रभागीय वन अधिकारी मसूरी वन प्रभाग ने तहरीर दी है। तहरीर में डीजीपी बीएस सिद्धू समेत 8 लोगों का नाम दर्ज है। मामला देहरादून के राजपुर क्षेत्र का है। उस वक्त बीएस सिद्धू डीजीपी हुआ करते थे। आरोप है कि उन्होंने नकली नाथूराम और कुछ गवाहों को दिखा कर 21 मई 2012 को जमीन अपने नाम रजिस्टर करवा दी। जबकि असली नाथूराम की मृत्यु 1983 में हो चुकी थी। बीएस सिद्धू ने तत्कालीन अपर तहसीलदार सदर के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा किया। बीएस सिद्धू ने वन अधिकारियों व कुछ कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए पद का दुरुपयोग भी किया। उन्होंने इन कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करा दिए। इतना ही नहीं जमीन पर अवैध कब्जा करने के बाद उस पर खड़े 25 पेड़ भी काट दिए।

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जांच के बाद पुलिस ने तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू, तत्कालीन अपर तहसीलदार शुजाउद्दीन, महेंद्र सिंह, नकली नथूराम, दीपक शर्मा, स्मिता दीक्षित, सुभाष शर्मा और कृष्ण के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। शिकायतकर्ता आशुतोष सिंह प्रभागीय वन अधिकारी मसूरी वन प्रभाग ने इस संबंध में तहरीर दी है। इसमें लिखा है कि तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू ने पुराने पद पर रहते हुए मसूरी रोड स्थित जमीन के (जिसे भारतीय वन अधिनियम के तहत आरक्षित वन घोषित किया गया था) मेरठ के दो अधिवक्ता दीपक शर्मा व स्मिता दीक्षित के कहने पर फर्जी दस्तावेज बनाए और जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। बता दें कि कुछ ही समय पहले शासन ने सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी थी। डीएफओ मसूरी को पूरे मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहीं पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू former DGP BS Sidhu का कहना था कि मुकदमे के खिलाफ मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा। वन विभाग मेरे खिलाफ जुर्माना काटने की कार्रवाई कर चुका है। जिला न्यायालय ने मेरे खिलाफ आईपीसी में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति को खारिज कर दिया है। ऐसे में अगर शासन ने कार्रवाई की अनुमति दी है, तो ये गलत है।