उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand lakhpati didi scheme

शानदार: उत्तराखंड में ‘लखपति दीदी’ बनेंगी 3 लाख महिलाएं, शुरू होने वाला है टेक्निकल काम

उत्तराखंड की करीब 3 लाख से अधिक महिलाएं करीब 40 हजार स्वयं सहायता समूह में जुड़ी हैं। अब यहां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत योजना पर काम शुरू हो गया है।

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Image: Uttarakhand lakhpati didi scheme (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ों तक रोजगार पहुंचाना आखिर कितना जरूरी है यह हम सबको पता है।

Uttarakhand lakhpati didi scheme

राज्य सरकार लगातार उत्तराखंड के गांव-गांव तक स्वरोजगार पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में स्वयं सहायता समूह उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं के साथ शानदार काम कर रहे हैं और उन को रोजगार प्रदान कर रहे हैं जिससे पलायन जैसी गंभीर समस्या हल हो सकती है। अब केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत तीन लाख महिलाओं को लखपति बनाने की योजना पर प्रदेश में काम शुरू हो गया है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ीं महिलाओं के लिए ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत उन्हें कौशल विकास के साथ सूक्ष्म उद्यमों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में 20 हजार नए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को योजना का लाभ मिल सके। बता दें कि वर्तमान में प्रदेश के 95 ब्लाकों में 39,116 स्वयं सहायता समूहों में 3 लाख 5 हजार महिलाओं को संगठित कर 4 हजार 310 ग्राम संगठन और 259 क्लस्टर स्तरीय संगठनों का गठन किया गया है। इन संगठनों से जुड़ीं महिलाओं की आय दोगुनी करने के लिए कौशल विकास के साथ टिकाऊ, सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट और उत्तराखंड इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के माध्यम से महिलाओं को तमाम नए कामों में प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जाएगा।

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अभी तक स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिलाएं आमतौर पर आचार, पापड़, हेंडिक्राफ्ट, सब्जी, रेशम, फल जैसे कामों तक ही सीमित हैं। मगर आने वाले दिनों में इन महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, राजमिस्त्री, खाद बनाने, आर्गेनिक खेती, एलईडी बल्ब बनाने जैसे कामों में दक्ष बनाया जाएगा। एसएचजी ( स्वयं सहायता समूह) की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए एनआरएलएम कार्यक्रम के माध्यम से इन्हें एक छत के नीचे लाया जाएगा ताकि अलग-अलग समूहों को काम बांटकर इनकी एक चेन बनाई जा सके। इससे समूहों को बैंक लोन लेने में भी आसानी होगी। पिछले वित्तीय वर्ष में 11 हजार समूहों को लोन दिलवाया गया था। इस बार यह लक्ष्य 18 हजार रखा गया है। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं के उत्पादों को उचित बाजार दिलवाने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, मंतरा, पे-टीएम मॉल जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) से भी अनुबंध किया जा रहा है ताकि वैश्विक तौर पर उनको बाजार मिल सके। अपर सचिव, ग्राम्य विकास आनंद स्वरूप ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत एप के माध्यम से ब्लाक और जिला स्तर पर कोड-ऑर्डिनेटरों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू कर दिया गया है। सर्वे के माध्यम से जाना जाएगा कि एसजीएच से जुड़ी महिलाएं वर्तमान में क्या-क्या काम कर रही हैं और क्या और बेहतर कर सकती हैं। सर्वे का काम होने के बाद एसजीएच के अलग-अलग ग्रुप को अलग-अलग काम सौंपे जाएंगे।