ऋषिकेश: देहरादून में मां की मौत के बाद बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए उनका अंतिम संस्कार किया। उनकी अर्थी को कंधा दिया, मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की सारी प्रक्रिया संपन्न की। ऋषिकेश के गंगानगर में रहने वाले एसके अग्रवाल की पत्नी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उनके परिवार में दो बेटियां हैं। एक बेटी यूएसए में है, जबकि दूसरी बेटी अंजलि बेंगलुरु में रहती है। मां के निधन की खबर मिलते ही अंजलि दुख से बेजार हो गईं। मां के अंतिम दर्शन करने के लिए वो बेंगलुरु से ऋषिकेश पहुंची। बात जब मां के अंतिम संस्कार की आई तो अंजलि ने मां के दाह संस्कार से जुड़ी रस्में निभाने का फैसला किया और सनातन धर्म के अनुसार रीति रिवाज के साथ उन्होंने मां का दाह संस्कार किया। मां के जाने के दुख से अंजलि रो-रोकर निढाल हो गई थीं। आगे पढ़िए
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अंजलि ने किसी तरह हिम्मत बनाए रखी और अंतिम संस्कार के सारे अनुष्ठान पूरे किए। अंजलि ने कहा कि उनकी मां बेटे की तरह ही उनको बहुत प्यार करती थी। मां की तमन्ना थी कि उनकी मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनकी बेटी ही मुखाग्नि दे। अपनी मां की इच्छा को पूरा करते हुए उन्होंने सनातन धर्म के रीति-रिवाज अनुसार मुखाग्नि देकर अपना फर्ज निभाया है। अंजलि ने बताया कि उनकी बहन भी अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती थी, लेकिन फ्लाइट लेट होने की वजह से वो ऋषिकेश नहीं पहुंच पाई। इस तरह अंजलि ने अपनी माता का अंतिम संस्कार कर न सिर्फ रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ा, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश की। लोग उनके फैसले को सराह रहे हैं, उनकी हिम्मत की दाद दे रहे हैं।