उत्तराखंड चम्पावतRadhika Joshi of Champawat Kanyuda village dies due to lack of treatment

उत्तराखंड: इलाज के अभाव में नवविवाहिता की रास्ते में ही मौत, 12 दिन पहले हुई थी शादी

चम्पावत के कन्यूड़ा में 19 साल की नवविवाहिता की सड़क के अभाव में समय से इलाज न मिलने के कारण मौत, 30 जनवरी को ही हुआ था विवाह

Radhika Joshi Champawat: Radhika Joshi of Champawat Kanyuda village dies due to lack of treatment
Image: Radhika Joshi of Champawat Kanyuda village dies due to lack of treatment (Source: Social Media)

चम्पावत: उत्तराखंड में एक ओर चुनावों की तैयारी की जा रही है। विधायकों से लेकर जाने-माने नेता तक अपनी-अपनी पार्टियों के प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। उनका दावा है कि उनकी सरकार सत्ता में आते ही पहाड़ों की हालत बदल जाएगी, स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त हो जाएंगी, सभी गांवों तक सड़क पहुंच जाएगी मगर उनके दावे खोखले हैं क्योंकि उत्तराखंड में अब भी कई गांव ऐसे हैं जहां पर लोगों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं मिली है। अब भी उनको डोली के सहारे कई घंटे की पैदल यात्रा के बाद मरीजों को अस्पताल लेकर जाना पड़ता है, जिस वजह से कई लोग दम तोड़ चुके हैं। ऐसी ही एक हृदयविदारक घटना हुई है चंपावत जिले में हुई है। यहां महज 19 साल की नवविवाहिता ने बीते शुक्रवार को सही समय पर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ दिया। 30 जनवरी को ही नवविवाहिता के घर में शादी की शहनाई बजी थी। उसके माता पिता ने अपनी बेटी को विदा किया था। शादी के बारहवें ही दिन यह घटना हो गई और जिस घर से बेटी की डोली उठी थी उसी घर से उसकी अर्थी उठी। अगर चंपावत के इस गांव तक सड़क पहुंच जाती तो आज 19 वर्ष की राधिका जोशी आज जिंदा होती। 19 वर्ष की राधिका का कुछ दिन पहले ही विवाह हुआ था। अपने पति के साथ दोस्त की शादी अटेंड करने वह मायके आई हुई थी। यहां अचानक ही तबीयत खराब होने पर स्वजन उसको डोली में बैठा कर डेढ़ घंटे पैदल चलने के बाद मुख्य सड़क तक लाए और बमुश्किल जिला अस्पताल ले गए जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल प्रशासन ने घटना की सूचना पुलिस को दी है। तहसीलदार ने मृतका का पंचायतनामा भरा। अगर सड़क होती और समय पर उसको उपचार मिल जाता तो आज राधिका जिंदा होती।

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चम्पावत के कफलांग निवासी 28 वर्षीय महेश जोशी पुत्र लोकमणी जोशी की शादी इस वर्ष 30 जनवरी को कन्यूड़ा निवासी 19 वर्षीय राधिका जोशी पुत्री हीरा वल्लभ पुनेठा के साथ विधिवत रीति रिवाज से हुई। शादी के बाद भी सब कुछ ठीक था। दो दिन पूर्व राधिका अपने दोस्त ममता की शादी के लिए पति के साथ अपने मायके आई थी। गुरुवार को मेहंदी रस्म के बाद वह घर आकर सो गई। सुबह आठ बजे सो कर उठने के बाद उसकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई। करीब एक घंटे के बाद उसे अस्पताल जाने के लिए निकले। डेढ़ घंटा पैदल चलने के बाद वह सतपुला पहुंचे। सतपुला से वह उसे वाहन से जिला अस्पताल लेकर आए। जहां डाक्टरों ने उसको को मृत घोषित कर दिया। फिजिशियन डा. अजय कुमार ने बताया कि महिला को हार्ट अटैक होने की संभावना है। अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी है। सूचना पर पहुंची तहसीलदार ज्योति नपलच्याल ने पंचायतनामा भरा। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस माता-पिता ने अपनी बेटी कुछ दिन पहले ही विदा की हो, उसी आंगन से उसकी अर्थी उठेगी। यह सब कुछ सड़क के अभाव में हुआ। अगर समय पर युवती को इलाज मिल जाता तो आज शायद एक परिवार के ऊपर इस तरह दुःखों का बादल न फटा होता। कन्यूड़ा गांव के लोग लंबे समय से कर रहे सड़क सुविधा की मांग कर रहे हैं। कन्यूड़ा निवासी नवविवाहिता 19 वर्षीय राधिका जोशी समय पर अस्पताल पहुंच जाती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। उसकी मौत के लिए सड़क सुविधा का अभाव बताया जा रहा है। हालत बिगड़ने पर उसे डोली के सहारे सतपुला तक लाने में डेढ़ घंटा लग गया। राधिका के पिता हीरा बल्लभ ने बताया कि उसको डोली के सहारे कन्यूड़ा से लगभग पांच किमी दूर सतकुला गांव लाए जिसमें डेढ़ घंटे का समय जाया हो गया। कन्यूड़ा से उसे वाहन के जरिए जिला अस्पताल लाया गया। उनका कहना है कि सतपुला तक सड़क सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीणों को मरीजों को डोली के सहारे ही लाना पड़ता है। वहीं कन्यूड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से सड़क सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने एक बार भी सुध नहीं ली।