उत्तराखंड The mystery of barahi temple in Uttarakhand-0417

उत्तराखंड के बाराही मंदिर का अद्भुत रहस्य...ताम्र पेटी मेें छुपे सैकड़ों राज !

इस मंदिर में रखी एक ताम्र पेटी भी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. कहा जाता है कि अभी तक कोई भी श्रद्धालु माँ की मूर्ति को खुली आँखों से नहीं देख पाया है

Uttarakhand: The mystery of barahi temple in Uttarakhand-0417
Image: The mystery of barahi temple in Uttarakhand-0417 (Source: Social Media)

: उत्तराखंड की पहाड़ियों में ऐसे ऐसे राज दफन हैं जिनके बारे में आज भी लोगों को नहीं पता है। हम इस सेगमेंट में ऐसे ही रहस्य और रोमांच के बारे में आपको जानकारी देते हैं। उत्तराखंड का देवीधुरा भले ही पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मां बाराही के मन्दिर के रहस्य के बारे में आज भी सवाल खड़े होते हैं। इस मंदिर में रखी एक ताम्र पेटी भी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. कहा जाता है कि अभी तक कोई भी श्रद्धालु माँ की मूर्ति को खुली आँखों से नहीं देख पाया है. वहीं जिस श्रद्धालु ने कोशिश की उसकी आँखों की रोशनी चली गई. यही वजह हैं कि ताम्रपेटिका में रखी मूर्ति को नहीं देखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। देवीधुरा में माँ बाराही का मंदिर 52 पीठों में से एक माना जाता है। मुख्य मंदिर में तांबे की पेटिका में मां बाराही देवी की मूर्ति है, मगर पेटिका में रखी इस देवी मूर्ति के दर्शन अभी तक किसी ने नहीं किए हैं। प्रत्येक साल भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा को बागड़ जाती के क्षत्रीय वंशज द्वारा ताम्र पेटिका को मुख्य मंदिर से नंद घर में लाया जाता है, जहां आंखों में पट्टी बांध कर मां का स्नान कर श्रगार किया जाता है.

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माँ की मूर्ति की तरह देवीधुरा में भीम शीला पत्थरों को पुराने समय के बग्वाल युद्ध से जोड़कर देखा जाता है. माँ का मुख्य मंदिर भी गुफा के अंदर है.मान्यता है कि चम्याल खाम की एक बुजुर्ग की तपस्या से प्रसन्न होने के बाद नर बलि बंद हो गई और बग्वाल की परम्परा शुरू हुई. इस बग्वाल में चार खाम चम्याल, वालिक, गहरवाल और लमगड़िया के रणबांकुरे बिना जान की परवाह किये एक इंसान के रक्त निकलने तक युद्ध लड़ते हैं. मन्दिर के पुजारी और बग्वाल के रंबकारों का कहना है कि फल फूल आसमान में पत्थर का रूप ले लेते हैं . अपने आप में देवीधुरा का प्रसिद्ध माँ बाराही का धाम भलेही अपने कई रहस्यों को छिपाये हुए हैं। तो अब आपको पता चल गया होगा कि यहां का रहस्य कैसा है। हो गई न जिज्ञासा इस मंदिर में जाने की। तो किसका इंतजार कर रहे हैं आप।