पिथौरागढ़: कहते हैं परफेक्शन जैसी कोई चीज नहीं होती। सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है। ऐसा गूगल के साथ भी है। पिछले दिनों बेगूसराय के बीटेक स्टूडेंट ऋतुराज ने गूगल में ऐसी गलती खोजी, जिसके बाद कंपनी ने उन्हें अपने रिसर्चर में शामिल कर लिया। ऋतुराज को इनाम के तौर 31 हजार डॉलर की बड़ी रकम भी मिलेगी, लेकिन आज हम ऋतुराज की नहीं उत्तराखंड के उस होनहार की बात करेंगे, जो ये कारनामा साल 2017 में ही कर चुका है। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के Vikas Bisht की। जिन्होंने साल 2017 में Google सर्च इंजन में खामियां निकाल कर सबको हैरत में डाल दिया था। गूगल ने विकास को वलनरेबिलिटी रिवार्ड प्रोग्राम के तहत हॉल ऑफ फेम में विश्व के कुल 980 आईटी एक्सपर्ट में से 322वीं रैंक दी थी। साल 2018 में विकास ने एक और उपलब्धि हासिल की। आगे पढ़िए
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इस बार उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में खामी पकड़ी। जिसके लिए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने उन्हें बग बाउंटी प्रोग्राम के तहत 72 हजार रुपये और फिर 1.49 लाख रुपये का रिवार्ड दिया था। यहां आपको विकास के परिवार के बारे में भी जानना चाहिए। पिथौरागढ़ के दुर्गम मिर्थी गांव के रहने वाले विकास के पिता चंदन सिंह बिष्ट धारचूला में जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक हैं। माता गृहणी हैं। विकास ने शुरुआती पढ़ाई पिथौरागढ़ में की। बाद में मेरठ से इंटीग्रेटेड एजुकेशन इन साइबर सिक्योरिटी कोर्स किया। साल 2018 में वो सिंगापुर में कैप्चर द फ्लैग प्रोग्राम में भी प्रतिभाग कर चुके हैं। इस प्रोग्राम में विकास सिंगापुर के साथ साइबर एक्सपर्ट विजेता रहे थे। जी हां Google में गलतियां ढूंढने वाले Vikas Bisht ने आठ देशों के साइबर एक्सपर्ट को पछाड़कर ये शानदार उपलब्धि हासिल की थी।