उत्तराखंड चम्पावतTwo ancient idols found in Byandhura temple of Champawat

उत्तराखंड: ब्यानधुरा मंदिर में मिली प्राचीन दुर्लभ मूर्तियां, खुल सकते हैं इतिहास के कई राज

गांव वाले इन प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण के लिए बेहद गंभीर हैं और प्रशासन से क्षेत्र में ही संग्राहलय बनाने की मांग कर रहे हैं।

Champawat Byandhura Ancient Sculptures: Two ancient idols found in Byandhura temple of Champawat
Image: Two ancient idols found in Byandhura temple of Champawat (Source: Social Media)

चम्पावत: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में इतिहास का खजाना बिखरा पड़ा है। यहां समय-समय पर प्राचीन मूर्तियां और ध्वंसावशेष मिलते रहते हैं, जो कि यहां के समृद्ध इतिहास की गौरवगाथा कहते नजर आते हैं। हाल में यहां चंपावत के ऐड़ी ब्यानधुरा मंदिर मैदान के पास दो प्राचीन मूर्तियां मिलीं। गांव वाले इन प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण के लिए बेहद गंभीर हैं और प्रशासन से क्षेत्र में ही संग्राहलय बनाने की मांग कर रहे हैं। टनकपुर, आमबाग और नायकगोड के लोगों ने एसडीएम हिमांशु कफल्टिया के माध्यम से पुरातत्व विभाग के आयुक्त को इस संबंध में ज्ञापन भी भेजा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक ब्यानधुरा धाम में मिली मूर्तियां दुर्लभ श्रेणी की हैं। इनका संबंध ब्यानधुरा धाम से ही हो सकता है, लिहाजा इन्हें मंदिर परिसर में ही संग्रहालय बनाकर सहेजा जाना चाहिए। ताकि क्षेत्रवासी मंदिर में प्रतिमाओं की विधिवत पूजा-अर्चना कर सकें

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बता दें कि इन मूर्तियों को अजय नाम के व्यक्ति ने 14 जनवरी को देखा था। उसने इनकी फोटो खींचकर इसकी जानकारी एसडीएम हिमांशु कफल्टिया को दी। एसडीएम ने मंदिर के पुजारी को मूर्तियों की सुरक्षा के निर्देश दिए थे। खटीमा डिग्री कॉलेज के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ. प्रशांत जोशी के मुताबिक ये मूर्तियां ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। जिस जगह मूर्तियां मिली हैं, उस क्षेत्र को स्थानीय लोग मुगलगढ़ी कहते हैं। उन्होंने काली कुमाऊं रागभाग के लेखक प्रो. राम सिंह का हवाला देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में मिलने वाले ध्वंसावशेष और मूर्तियां कुषाण कालीन हैं। काली कुमाऊं क्षेत्र में शक, कुषाण और हुणों के आक्रमण के साक्ष्य मिलते हैं। पुरातात्विक अध्ययन के बाद ही मूर्तियों के बारे में साफतौर पर कुछ कहा जा सकता है। मंदिर के पुजारी शंकर दत्त जोशी कहते हैं कि फिलहाल मूर्तियों को मंदिर में ही संरक्षित किया गया है। क्षेत्र के लोग इन प्रतिमाओं के संरक्षण के लिए क्षेत्र में ही संग्राहलय बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।