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देवभूमि का अमृत: बुरांश से होगा कोरोना का इलाज, वैज्ञानिकों ने किया दावा..जानिए इसके फायदे

भारतीय वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज हिमालय में मिलने वाले एक पेड़ में है, जिसे हम बुरांश के नाम से जानते हैं। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Benefits of Buransh flower: Buransh flower can cure coronavirus
Image: Buransh flower can cure coronavirus (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना वायरस, यानि दहशत का दूसरा नाम। दुनिया का हर देश इसके खतरे से जूझ रहा है। इलाज के नाम पर कोरोना रोकथाम की वैक्सीन जरूर आ गई है, लेकिन इस बीमारी का इलाज अब भी खोजा नहीं जा सका है। कोरोना की तीसरी लहर की भयावहता के बीच भारतीय वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज हिमालय में मिलने वाले एक पेड़ में है, जिसे हम बुरांश के नाम से जानते हैं। आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के रिसर्चर का दावा है कि बुरांश के फूलों में मिलने वाले तत्व कोरोना संक्रमण रोकथाम में मददगार साबित हो सकते हैं। बुरांश को उत्तराखंड में राज्य वृक्ष का दर्जा मिला है। इसका वैज्ञानिक नाम है रोडोड्रेड्रन अर्बोरियम। दावा है कि ये पेड़ कोरोना से लड़ने में मदद कर सकता है। इसके फूलों की पंखुड़ियों में मौजूद फाइटोकेमिकल नामक पदार्थ कोरोना को मल्टीप्लाई होने से रोकता है।

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इसमें ऐसे एंटी वायरल गुण होते हैं, जिसके चलते वायरस इसके सामने टिक नहीं पाता। उत्तराखंड के अलावा बुरांश हिमाचल और कश्मीर में भी पाया जाता है। आईआईटी मंडी के प्रोफेसर डॉ. श्याम कुमार मसकपल्ली के अनुसार बुरांश के फाइटोकेमिकल एक ऐसे एंजाइम से जुड़ जाते हैं, जो वायरस को अपना डुप्लीकेट बनाने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के कारण वायरस हमारी बॉडी के सेल्स को इफेक्ट नहीं कर पाता। जिससे संक्रमण का खतरा टल जाता है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही ऐसी दवा आ सकती है जो कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं होगी। वैज्ञानिकों की टीम हिमालय में मिलने वाले अन्य पौधों में भी कोरोना का इलाज ढूंढ रही है। बात करें बुरांश की तो ये औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष है। इसके फूलों से न सिर्फ औषधीय जूस बनता है, बल्कि सिरदर्द, श्वास से जुड़े रोग और दाद-खाज-खुजली आदि में भी इसका सेवन लाभकारी बताया गया है। उत्तराखंड में बुरांश को राज्यवृक्ष का दर्जा मिला है, जबकि नेपाल में इसे राष्ट्रीय पुष्प का सम्मान हासिल है।

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