देहरादून: प्रदेश में 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री की चुनावी रैली के बाद चुनावी माहौल बनने लगा है। बीजेपी को जवाब देने के लिए कांग्रेस ने भी तैयारियां कर ली हैं। 16 दिसंबर को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी परेड ग्राउंड में रैली करने जा रहे हैं। बात करें कांग्रेस के सीएम चेहरे की तो पार्टी अब भी सामूहिक नेतृत्व के दम पर Uttarakhand Assembly Elections के मैदान में उतरने की बात कह रही है, ये बात और है कि पूर्व सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत की हसरतें हिलोरे मार रही हैं। पार्टी के भीतर एक ऐसा गुट भी है, जो उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुटा हुआ है। पंजाब की जिम्मेदारी से मुक्त होते ही हरीश रावत पूरी तरह चुनाव अभियान में जुट गए हैं। सोमवार को हरीश रावत ने अपने समर्थकों का अभियान 'सारा उत्तराखंड हरदा के संग' लॉन्च किया। साथ ही हरीश रावत से जुड़ने के लिए टोल फ्री नंबर और वेबसाइट जारी की गई है।
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अब इस अभियान के सियासी मायने भी समझिए। दरअसल इस अभियान के जरिए हरीश रावत कैंप ने हाईकमान के आगे उनकी लोकप्रियता साबित करने का दांव चला है। हरीश रावत खुद भी उत्तराखंड चुनाव में चेहरा घोषित करने के हिमायती रहे हैं। वो सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक कई बार अपनी इस बात को दोहरा चुके हैं। वो कहते हैं कि राज्य में पार्टी की ओर से सीएम पद का चेहरा घोषित करने की जरूरत है। हालांकि हाईकमान ने कांग्रेस के भीतर हो रही गुटबाजी को देखते हुए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही है। ऐसे में हरदा के समर्थक उन्हें सीएम प्रोजेक्ट करने के लिए नए-नए दांव चल रहे हैं। 'सारा उत्तराखंड हरदा के संग' इसी कोशिश का नतीजा है। अभियान के जरिए हरीश रावत के उत्तराखंडियत मॉडल को आम लोगों से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। देखना है Uttarakhand Assembly Elections में ये कितना कारगर रहता है।