उत्तराखंड चमोलीWedding stuck in Chamoli amid landslide

गढ़वाल: भूस्खलन ने रोकी बारात, दो दिन फंसे रहे बाराती..आखिर में 19 Km पैदल चली आई दुल्हन

शादी का मुहूर्त था, लेकिन बारात दुल्हन के गांव नहीं पहुंच सकी। हालात ऐसे बने कि दुल्हन और 10-12 स्वजनों को 19 किलोमीटर पैदल चलकर कर्णप्रयाग आना पड़ा। पढ़िए पूरी खबर

Chamoli Landslide: Wedding stuck in Chamoli amid landslide
Image: Wedding stuck in Chamoli amid landslide (Source: Social Media)

चमोली: सावन...बारिश की बूंदें...रिमझिम फुहारें...ये शब्द सिर्फ कविता और किताबों में ही अच्छे लगते हैं। बारिश का सौंदर्य पहाड़ में रहने वालों के लिए किसी भयानक सपने से कम नहीं है। आसमान में बादल गरजते हैं तो डर से दिल बैठने लगता है, सांय-सांय करती नदी की आवाजें अनहोनी की दस्तक देने लगती है। मानसून के दस्तक देने के साथ ही पहाड़ में एक बार फिर तबाही का मंजर नजर आने लगा है। बारिश इस कदर मुसीबत ढा रही है कि लोगों के लिए मांगलिक आयोजन कराना तक मुश्किल हो गया है। अब चमोली में ही देख लें। यहां शुक्रवार को रुद्रप्रयाग से आई बारात को उसी दिन चमोली के गांव पहुंचना था, लेकिन रास्ते में भूस्खलन होने से हाईवे दो जगह बंद हो गया। जिस वजह से बारात शनिवार को भी दुल्हन के गांव नहीं पहुंच सकी। हालात ऐसे बने कि दुल्हन और 10-12 स्वजनों को 19 किलोमीटर पैदल चलकर कर्णप्रयाग आना पड़ा। शनिवार शाम वहीं पर शादी की रस्में संपन्न कराई गईं। जानकारी के मुताबिक नारायणबगड़ के भुल्याड़ा गांव में रहने वाले सुपिया लाल की बेटी कविता की शादी रुद्रप्रयाग के मदनी-चंद्रापुरी गांव में रहने वाले गोकुल लाल के बेटे चंद्रशेखर के साथ तय थी। आगे पढ़िए

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शुक्रवार को बारात अगस्त्यमुनि से भुल्याड़ा के लिए रवाना हुई। शाम को बारात दुल्हन के साथ वापस लौटनी थी, लेकिन इस बीच कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाइवे पर भारी भूस्खलन हो गया। आमसौड़ में रास्ता बंद हो गया। यहां से भुल्याड़ा की दूरी 19 किमी है। बाद में दूल्हे को पैदल ही भुल्याड़ा भेजने की योजना बनी, लेकिन आमसौड़ के पास एक भारी-भरकम चट्टान ने राह रोक ली। पहाड़ से लगातार पत्थर गिर रहे थे। इस बीच एक मुसीबत और पैदा हो गई। आमसौड़ से 5 किमी दूर शिव मंदिर के पास भी भूस्खलन से रास्ता ब्लॉक हो गया। ऐसे में बाराती कर्णप्रयाग भी नहीं लौट पाए। सभी बारातियों ने वाहनों में ही भूखे-प्यासे रहकर रात गुजारी। शनिवार को दोपहर बाद एक तरफ का रास्ता खुलने पर बारातियों को किसी तरह वापस कर्णप्रयाग पहुंचाया गया। देर शाम गांव के रास्ते से पैदल होते हुए दुल्हन भी स्वजनों संग कर्णप्रयाग पहुंच गई थी। वहीं पर शादी की रस्में पूरी की गईं। तहसीलदार कर्णप्रयाग सोहन सिंह राणा ने बताया की बारात फंसने की सूचना पर प्रशासन की टीम ने सभी बारातियों को सुरक्षित कर्णप्रयाग पहुंचा दिया था। वहीं पर विवाह संपन्न कराया गया। प्रशासन की तरफ से बारातियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई थी।