उत्तराखंड उधमसिंह नगरVijay did floriculture in Kashipur

उत्तराखंड के विजय ने पारंपरिक खेती छोड़ी..पॉली हाउस में उगाए फूल, अब लाखों में कमाई

काशीपुर के विजय की गिनती प्रदेश के प्रगतिशील किसानों में होती है। उन्हें देखकर अब क्षेत्र के दूसरे युवा भी फ्लोरीकल्चर को अपनाने लगे हैं। आगे पढ़िए पूरी खबर

Kashipur floriculture: Vijay did floriculture in Kashipur
Image: Vijay did floriculture in Kashipur (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: जिन लोगों को खेती-किसानी घाटे का सौदा लगती है, समय की बर्बादी लगती है। उन्हें काशीपुर के किसान विजय से सीख लेने की जरूरत है। विजय फूलों की खेती करते हैं, जिसमें उन्हें मुनाफा तो हो ही रहा है, साथ ही उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। फूलों की खेती से सफलता का सफर तय करने वाले विजय क्षेत्र के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। विजय कुंडेश्वरी में छह एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती करते हैं। उनके खेतों में पनपे फूलों की खुशबू विदेश तक में महक रही है। आज हम विजय की सफलता देख रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर कई तरह के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। विजय एक छोटे से किसान परिवार से आते हैं। पिता किसानी करते थे, जिससे विजय की रुचि भी खेती की तरफ हुई, लेकिन ये इतना आसान नहीं था। कभी सूखा तो कभी बाढ़ से काफी नुकसान होता था। खेती से गुजारा ना हुआ तो विजय ने कुछ समय के लिए एक पेपर मिल में काम किया। बाद में किसी वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी और वो एक बार फिर खेती की तरफ लौट आए। आगे पढ़िए

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विजय की लाइफ का टर्निंग प्वाइंट अप्रैल 1990 में आया। उस साल अचानक हुई बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी गेहूं की सारी फसल बर्बाद कर दी। पूरा परिवार गम में डूब गया था। तब सब ने पारंपरिक खेती के साथ डेयरी और मत्स्य पालन करने के बारे में सोचा, लेकिन विजय के माता-पिता को ये आइडिया जंचा नहीं। इसके बाद विजय के बड़े भाई ने उन्हें सुझाव दिया कि क्यों ना फ्लोरीकल्चर को अपनाया जाए, खेतों में फूलों की खेती की जाए। तब साल 1991 में विजय ने एक एकड़ भूमि में सालिओलिओस की बुवाई की। बाद में पॉली हाउस लगाकर जेरबेरा, ओएम कॉर्नेशन, स्पाइक्स और लिलीयम की खेती करने लगे। ग्लेडियोलस को खुले क्षेत्रों में उगाया। आज विजय छह एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती कर रहे हैं। उनके यहां उगे फूलों को काशीपुर के फूलों के नाम से जाना जाता है। उपज को प्रीमियम बाजारों में बेचा जाता है। काशीपुर के फूल दिल्ली के साथ-साथ हॉलैंड और जापान समेत कई देशों में भेजे जाते हैं। फूलों की खेती से सफलता का सफर तय करने वाले विजय कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। काशीपुर के विजय की कहानी आज क्षेत्र के कई युवाओं को खेती से सफलता की राह दिखा रही है, वो क्षेत्रवासियों के लिए मिसाल बन गए हैं।