उत्तराखंड रुद्रप्रयागpeople of Rudraprayag took Good steps to save environment

ये हैं रुद्रप्रयाग जिले के ‘इको वॉरियर’..ऐसी कोशिश पूरे उत्तराखंड में होनी चाहिए

ये रुद्रप्रयाग के युवा हैं जो बीते रविवार एक साथ एकत्रित हुए और रुद्रप्रयाग को संवारने में जुट गए। आइए..तस्वीरों के जरिए एक अच्छा संदेश देती कहानी भी देखिए

Rudraprayag News: people of Rudraprayag took Good steps to save environment
Image: people of Rudraprayag took Good steps to save environment (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: हरे-भरे पहाड़ आखिर किसको पसंद नहीं? सब जानते है कि प्रकृति की वजह से ही हम जिंदा हैं। मगर जरा और करीब से हम पहाड़ों और प्रकृति को देखेंगे तो हमें मनुष्यों की विफलता मिलेगी। वो इसलिए क्योंकि हमने पर्यावरण को हमेशा खुद के अधीन माना है। जब हम अपने ही पहाड़ों को, प्रकृति को जाने अंजाने में गंदा करते हैं तो इसका दोष हम सरकार और सिस्टम को आखिर कब तक देते रहेंगे। साफ बात तो ये है कि न कोई सरकार और न कोई सिस्टम बल्कि प्रकृति के विनाश का कारण हम खुद हैं। हां...कुछ लोग हैं, जो जरा हटकर हैं। आज हम आपको रुद्रप्रयाग के कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं। पांडवाज़ के कुणाल डोभाल और सलिल डोभाल ने अपने पिता प्रेम मोहन डोभाल के साथ ये मुहिम शुरू की। रुद्रप्रयाग का तूना-बौठा मार्ग बेहद खूबसूरत है लेकिन इंसानी गलतियों की वजह से इस मार्ग पर कहीं शराब की बोतलें, कहीं कूड़ा, कहीं रैपर कहीं डिस्पोजे़बल की भरमार थी। आखिरकार पांडवाज की मुहिम में लोग जुड़े और तब जाकर एक अच्छा काम अपने अंजाम तक पहुंचा। अपने आसपास के इलाकों में फैली गंदगी को देखने के बाद इन्होंने ये फैसला लिया कि वो खुद के दम पर सफाई करेंगे। उन्होंने सिस्टम को दोष नहीं दिया, न ही सरकार को कोसा, बल्कि उन्होंने खुद के बलबूते पर रुद्रप्रयाग के तूना-बौंठा मार्ग पर 3 किलोमीटर के अंदर के दायरे में सफाई की। आगे देखिए तस्वीरें

  • ऐसे आया सफाई का ख्याल

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    दरअसल इन लोगों ने सुबह की सैर पर जाते हुए देखा कि यहां कई लोग घूमने आते हैं और अपने साथ चिप्स, चॉकलेट वगैरह लाकर और खाकर वहीं उसके रैपर छोड़ देते हैं। रात को कई लोग पहाड़ों पर शराब का सेवन करते हैं और बीयर की बोतलें वहीं फोड़ कर चले जाते हैं। हर जगह डिस्पोजेबल ग्लास, नमकीन और चिप्स के पैकेट, बिस्किट चॉकलेट के रैपर पड़े रहते हैं।

  • 14 जून को चला अभियान

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    कुणाल-सलिल और उनके पिताजी ने ये मिलकर निश्चय किया कि वो 14 जून को रुद्रप्रयाग के तूना-बौंठा मार्ग पर सफाई अभियान चलाएंगे और डस्टबिन लगाएंगे ताकि लोग सारा कचरा उनमें डालें। उन्होंने इस मुहिम के बारे में सोशल मीडिया पर डाला कि अपनी इच्छा से जिनको भी इस सफाई अभियान का हिस्सा बनना है वह सामने आएं और हाथ बटाएं।

  • युवाओं ने भी दिया साथ

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    उनकी इस मुहिम को अच्छा रिस्पॉन्स मिला। कुछ उत्साही युवाओं की टीम इन लोगों के साथ जुड़ी। रविवार सुबह साढ़े 5 से साढ़े 9 तक रुद्रप्रयाग के तूना-बौंठा मार्ग पर चरगाड से जयमण्डी डाइवर्जन के बीच तीन किलोमीटर के दायरे में साफ-सफाई की और डस्टबिन लगाए गए।

  • लोकेशन पर नियमों का पालन

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    बता दें कि सफाई की लोकेशन पर सभी को ग्लव्स और हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराए गए थे। डस्टबिन के लिए तारकोल के खाली ड्रम्स RGB रुद्रप्रयाग ने उपलब्ध कराए थे। वहीं मास्क और ग्लव्स डॉक्टर जितेंद्र नेगी ने प्रदान किए थे। खाली बैग्स सेमवाल जनरल स्टोर एवं सैनिटाइजर की बड़ी बोतल बिष्ट मेडिकोज एवं प्रयाग पैथोलॉजी ने उपलब्ध कराए थे। डंपर डीके स्पोर्ट्स के लक्ष्मण कपरुवाण द्वारा दिया गया।

  • ये कोशिश बेहद शानदार है

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    जब कोई अच्छा कार्य करने जाते हैं तो लोग जुड़ते जाते हैं और कारवां बनता जाता है। यह मुहिम बेहद सराहनीय है और ऐसी कोशिशें होती रहनी चाहिए।

  • उत्तराखड को ऐसे लोगों की जरूरत है

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    इन्हें किसी ने इको वॉरियर का तमगा नहीं दिया है। हां...हम कह रहे हैं कि ये रुद्रप्रयाग जिले के इको वॉरियर्स हैं। उत्तराखंड को आज ऐसे ही इको वॉरियर्स चाहिए।