नैनीताल: प्रदेश सरकार चारधाम देवस्थानम बोर्ड (char dham devasthanam board) के जरिए उत्तराखंड के तीर्थस्थलों के विकास की बात कह रही है, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी इसका विरोध करते रहे हैं और अब उन्होंने चारधाम मैनेजमेंट एक्ट में सारी पॉवर सरकार के पास होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई कर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सीईओ चारधाम देवस्थानम बोर्ड को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों से कहा है कि वो तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करें। आपको बता दें कि राज्य सरकार ने चारधाम देवस्थानम एक्ट पास किया था, जिसमें 51 मंदिरों को शामिल किया गया है।
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मंदिरों के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। अब बीजेपी के राज्यसभा सांसद ने भी इस एक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार का यह एक्ट असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश का उल्लंघन करता है। मंदिर चलाना सरकार का काम नहीं है। मंदिर को भक्त या फिर उनके लोग ही चला सकते हैं, लिहाजा एक्ट निरस्त किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि राज्य सरकार चारों धामों के मंदिरों का श्राइन बोर्ड की तर्ज पर प्रबंधन करने के लिए देवस्थानम अधिनियम (char dham devasthanam board) लाई थी। अब एक्ट के खिलाफ बीजेपी के सांसद हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। एक्ट के खिलाफ याचिका दायर होने से निश्चित तौर पर सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी, इसका असर चारधाम यात्रा पर भी पड़ेगा।