उत्तराखंड चमोलीlord curzon trek uttarakhand chamoli uttarakhand facing problems

चमोली जिले का खूबसूरत नगर..यहां ब्रिटिश काल में लॉर्ड कर्जन ने बनाया 200 Km लंबा कर्जन ट्रैक

ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन ने यहां 200 किमी लम्बे लार्ड कर्जन ट्रैक (lord curzon trek uttarakhand) का निर्माण करवाया था लेकिन सरकारों की अनदेखी के चलते इस साहसिक यात्रा रुट का भी जीर्णोद्धार नही हो सका।

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Image: lord curzon trek uttarakhand chamoli uttarakhand facing problems (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड के सीमांत जिले चमोली में एक स्थान ऐसा भी है जो गढ़वाल और कुमाऊँ को तो जोड़ता ही है साथ ही सदियों से देशी विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद भी रहा है। इस क्षेत्र की सुंदरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि गुलाम भारत के वायसराय रहे लार्ड कर्जन ने भी यहां की सुंदरता और रमणीयता से प्रभावित होकर यहां से लार्ड कर्जन ट्रैक (lord curzon trek uttarakhand) की स्थापना की थी। हम बात कर रहे हैं ब्रिटिश काल मे अंग्रेजों की पसंद में शुमार रहे ग्वालदम नगरी की। अंग्रेजों के मन को मोह लेने वाला ग्वालदम समुद्र तल से लगभग 1940 मीटर(6360फ़ीट) की ऊंचाई पर है हिमालयी चोटियों नंदा देवी, त्रिशूल,नंदा घुंघुटी के आकर्षक और मनमोहक दृश्य दिखाने वाला ग्वालदम अब सरकारों की उपेक्षा के चलते पर्यटकों के लिए तरस रहा है। कभी जमाने में आलू और सेब के व्यापार के लिए मंडी इसी ग्वालदम में हुआ करती थी। पर्यावरणविद और पदम श्री से विभूषित कल्याण सिंह रावत ने इसी पर्यटन नगरी से ऐतिहासिक मैती आंदोलन की शुरुआत की थी। इसी ग्वालदम से होकर रूपकुंड और तपोवन तक के लिए ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन ने 200 किमी लम्बे लार्ड कर्जन ट्रेक (lord curzon trek uttarakhand) का निर्माण करवाया था लेकिन सरकारों की अनदेखी के चलते इस साहसिक यात्रा रुट का भी जीर्णोद्धार नही हो सका। ग्वालदम की सुंदरता अंग्रेजी शासको को इतनी भायी कि उन्होंने 1890 में ही यहां सरकारी गेस्ट हाउस का निर्माण करवाया था जो वर्तमान में वन विभाग की देखरेख में है।

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गेस्ट हाउस के समीप बनी प्राकृतिक झील पर्यटको को एक अलग ही रोमांच का अनुभव कराती है। ग्वालदम प्रसिद्ध ऐतिहासिक नंदा देवी राजजात यात्रा का भी मुख्यमार्ग है ,कुमाऊँ मार्ग से आने वाले देशी विदेशी पर्यटक ग्वालदम की सुंदरता को निहारने के बाद ही वाण, वेदनी,रूपकुंड, होमकुंड के सौंदर्य का अनुभव करते हैं। यहां से लगभग 7 किमी की दूरी पर बिनातोली से 3 किमी की पैदल दूरी पर देवी भगवती का प्राचीन और ऐतिहासिक बधाणगढ़ी मंदिर है जो गढ़वाल और कुमाऊँ के लोगो की आस्था का केंद्र है। यहां पहुंचने के बाद श्रद्धालु भक्ति के साथ साथ साहसिक यात्रा,पर्यटन ,पुरातन संस्कृति और यहां के यात्रा वृतांत का एक अलग ही अनुभव महसूस करते हैं।,लेकिन पिछली सरकारो में पर्यटन नगरी ग्वालदम को टूरिस्ट हब बनाने की कवायद अब महज फाइलों में ही भटकती सी रह गई है। इको पार्क ,झीलों का सौंदर्यीकरण ,लार्ड कर्जन ट्रैक का सुधारीकरण-सौंदर्यीकरण,ग्वालदम नाग का सौंदर्यीकरण करके सरकार चाहे तो फिर से ग्वालदम देशी विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बन सकता है। अफसोस.. चुनाव के समय थराली विधानसभा क्षेत्र में विचरण करने के बाद रात्रि विश्राम के लिए हर नेता की पहली पसंद ग्वालदम तो होती है लेकिन अगली सुबह यहां से निकल जाने के बाद मंत्रीगण ग्वालदम को भुला देते हैं।