चम्पावत: मुझे तो़ड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक...मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ पर जाएं वीर अनेक। माखनलाल चतुर्वेदी की ये कविता मानों आज फिर से सार्थक हो गई है। एक बार फिर से उत्तराखंड का एक वीर सपूत मातृभूमि की बलिवेदी पर चढ़ गया। पहाड़ में शोक की लहर है लेकिन गर्व के साथ हर किसी को मस्तक उठा है। उत्तराखंड के चंपावत जिले के जांबाज जवान राहुल रैंसवाल अवंतीपोरा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। रियासी बमन गांव के रहने वाले राहुल अभी सिर्फ 25 साल के थे। 25 साल की उम्र क्या होती है? एक मां ही जान सकती है 25 साल के बच्चे को खोने का दर्द, वो पिता ही जान सकते हैं अपने जवान बेटे को खोने का दर्द...उन मां-पिता ने भी अपने बेटे के लिए कई ख्वाब पाले थे। इन सबके बीच राहुल की पत्नी सन्न हैं। अभी शादी को कुछ वक्त हुआ था कि पति देश के लिए शहीद हो गए।
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राहुल रैंसवाल ने अपने भाई से देशभक्ति सीखी थी। उनके भाई राहुल रैंसवाल भी भारतीय सेना में ही हैं। राहुल रैंसवाल 50 आरआर के जवान थे। खबर आई कि कश्मीर के अवंतीपोराके जंतरंग इलाके में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी छुपे हैं। सेना की 50 राष्ट्रीय राइफल्स ने सुबह करीब 11 बजे इलाके की घेराबंदी की। इसके बाद तलाशी अभियान शुरू हुआ। भारी बर्फबारी हो रही थी और खबर है कि दो आतंकियों को भी मार गिराया गया। अचानक एक मकान में छिपे आतंकियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। इस हमले में राहुल रैसवाल शहीद हो गए। शहीद राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह अपनी पत्नी के साथ चंपावत में रहते हैं। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद की पार्थिव देह बृहस्पतिवार तक यहां पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।