देहरादून: 16 फरवरी 2019...ये मनहूस दिन उत्तराखंड कभी नहीं भूलेगा। इसी दिन देहरादून के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट सरहद पर आईईडी धमाके में शहीद हो गए थे। जिस वक्त ये दुखद घटना हुई, उस वक्त मेजर बिष्ट के पिता उनकी शादी के कार्ड बांट रहे थे। 7 मार्च को उनकी शादी होने वाली थी। माता-पिता जिस बेटे के सिर पर सेहरा सजाने की तैयारी कर रहे थे, वो तिरंगे में लिपटा हुआ घर पहुंचा। इस घटना को कई 11 महीने हो गए हैं, लेकिन शहीद चित्रेश बिष्ट के माता-पिता के लिए जिंदगी मानों रुक सी गई है। बुधवार को दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को मरणोपरांत ‘सेना मेडल’ प्रदान किया गया। स्वतंत्रता दिवस पर घोषित वीरता पदकों की सूची में उत्तराखंड के वीर जांबाज मेजर चित्रेश बिष्ट का नाम भी शामिल था। बुधवार को सेना दिवस के मौके पर हुए कार्यक्रम में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने शहीद चित्रेश बिष्ट के पिता सुरेन्द्र सिंह बिष्ट यह मेडल सौंपा। बेटे की वीरता का मेडल लेते हुए पिता की आंखें नम हो गईं, गला रुंध गया।
ये भी पढ़ें:
यह भी पढ़ें - देहरादून में होगी 8 किलोमीटर सड़क की खुदाई...बदलेगा ट्रैफिक रूट, बढ़ेगी दिक्कत
मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील में पड़ने वाले पिपली गांव का रहने वाला है। उनके परिजन देहरादून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी में रहते हैं। पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। शहादत के वक्त मेजर चित्रेश की उम्र महज 28 साल थी। वो पिछले साल राजौरी के नौसेरा सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे। आतंकियों ने नौसेरा सेक्टर में इ-प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया हुआ था। सूचना मिलने पर सेना की टुकड़ी ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया। इसी दौरान आईईडी डिफ्यूज करते वक्त उसमें धमाका हो गया, जिसमें मेजर चित्रेश शहीद हो गए। वो इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे। मेजर चित्रेश आईएमए में ट्रेनिंग पूरी कर साल 2010 में पासआउट हुए थे। आर्मी डे पर मेजर चित्रेश बिष्ट को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।